उज्जवल हिमाचल डेस्क …
खास तौर से पंजाब और दुनियाभर के पंजाबी समुदाय में लोहड़ी का पर्व बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इसकी तैयारियां भी बड़े उत्साह से की जाती है।समाज में परिवार के सदस्यों के साथ लोहड़ी पूजन की सामग्री जुटाकर शाम होते ही विशेष पूजन के साथ आग जलाकर लोहड़ी का जश्न मनाया जाता है। इस उत्सव को पंजाबी समाज बहुत ही जोशो-खरोश से मनाता है।
लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। इस अवसर पर ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
- मकर संक्रांति पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
- सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य हो जाएंगे शुरू
मकर संक्रांति पर शुभ मुहूर्त की जानकारी ज्योतिष शिरोमणि मनोज सेमवाल ने दी। उन्होने कहा कि हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो वह घटना सूर्य की मकर संक्रांति कहलाती है। सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि होने लगते हैं। मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है। इस वर्ष लोगों में मकर संक्रांति की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति न हो, इसके लिए आपको सही समय, तारीख और इसके महत्व को जानने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
- कब है मकर संक्रांति 2021
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव सुबह मकर राशि में 08:30 बजे प्रवेश करेंगे। यह मकर संक्रान्ति का क्षण होगा। इस दिन मकर संक्रान्ति का पुण्य काल कुल 09 घण्टे 16 मिनट का है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 30 मिनट से शाम को 05 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, मकर संक्रान्ति का महा पुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है, जो सुबह 08 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है।
- मकर संक्रांति का महत्व
ज्योतिषाचार्य ज्योतिष शिरोमणि मनोज का कहना है कि मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित करें। मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य देव का रथ उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाता है। ऐसा होने पर सूर्य देव का मुख पृथ्वी की ओर होता है और वे पृथ्वी के निकट आने लगते हैं। जैसे-जैसे वे पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढ़ने लगती है। किसानों की फसलें पकने लगती हैं