उज्जवल हिमाचल। डेस्क….
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत होता है। इस वर्ष महालक्ष्मी का व्रत आज के दिन से शुरू हो रहा है। धन-संपदा और समृद्धि की देवी माता महालक्ष्मी की पूजा भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर 16 दिनों तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होती है। महालक्ष्मी का व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद से आरम्भ होती है।
- पूजा
जो लोग माता महालक्ष्मी का व्रत करते हैं, वे पहले दिन पूजा के समय हल्दी से रंगे 16 गांठ वाला रक्षासूत्र अपने हाथ में बांधते हैं। 16वें दिन व्रत का वधिपिर्व उद्यापन किया जाता है और उसे रक्षासूत्र को नदी या सरोवर में वसिर्जित किया जाता है। महालक्ष्मी की पूजा में हर दनि मां लक्ष्मी के इन आठ नामों ऊं आद्यलक्ष्म्यै नमः, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नमः, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नमः का जाप करते हैं।
- महत्व
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत होता है इस दिन राधा अष्टमी यानी राधा जयंती भी मनाई जाती है। अष्टमी के दिन से होने वाला महालक्ष्मी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन दूर्वा अष्टमी व्रत भी होता है। दूर्वा अष्टमी को दूर्वा घास की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी व्रत धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और संपदा की प्रात्ति के लिए किया जाता है। इस दिन लोग धन-संपदा की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।