मकर संक्रांति पर क्‍यों खाई जाती है खिचड़ी, जानें कैसे शुरू हुआ इसका रिवाज

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा और इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है। यह रिवाज सालों से चला आ रहा है और इस दिन स्नान, दान और पूजा की जाती है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करके उनकी पूजा करते हैं। तांबे के लोटे में जल, फूल, तिल, हल्दी-चंदन मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। क्या आप जानते हैं सभी ग्रहों में से सूर्य का मजबूत होना काफी जरूरी होता है और यह आपको करियर में लाभ पहुंचाता है और परिवार की सुख-शांति बनी रहती है। चलिए जानते हैं इस दिन खिचड़ी क्यों बनाई जाती है और इससे सभी राशियों को क्या लाभ मिलता है।

क्या है मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने का महत्व?….

सभी लोग इस दिन खिचड़ी बनाते हैं और सूर्य देव का भोग लगाकर इसे खाते हैं। खिचड़ी बनाना न सिर्फ एक रिवाज है, बल्कि ज्योतिष के मुताबिक भी इससे ग्रह अच्छे होते हैं। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से सूर्य और शनि ग्रह मजबूत होते हैं और आप करियर में सफलता पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य व शनि ग्रह अच्छे होने से आपको जीवन में समस्याएं नहीं आती हैं।

क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा मजबूत करने के लिए चावल खाए जाते हैं और खिचड़ी से भी यह ग्रह मजबूत होता है। नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरु का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है। इसलिए खिचड़ी खाने से आपके सभी ग्रह मजबूत होते हैं और आप जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

इस तरह हुई खिचड़ी की परंपरा….

माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ के समय से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और बांटने का रिवाज शुरु हुआ था। जिस समय खिलजी ने आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के बीच खाना बनाने का समय नहीं मिलता था और वे सभी भूखे पेट लड़ाई के लिए निकल जाते थे। तभी गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी पकाने की सलाह दी, इससे पेट भी भरता था और पूरा पोषण भी मिलता था। जब खिलजी से युद्ध के बाद मुक्ति मिली तो योगियों ने मकर संक्रांति के दिन उत्‍सव मनाया और याद के रूप में खिचड़ी बनाई और सभी को बांटी थी।