भिक्षा लेने गए गुरु गोरखनाथ की आस में सदियों से खिचड़ी के लिए उबल रहा पानी, जानें कांगड़ा के इस प्रसिद्ध स्थान के बार में

उज्जवल हिमाचल। ज्वालामुखी

मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने व खाने की परंपरा महान योग गुरु गोरखनाथ ने शुरू की थी। यहां माता ज्वालामुखी के हाथों से खिचड़ी बनवाने व खाने की प्रतिबद्धता को साथ लिए गुरु गोरखनाथ युगों से भिक्षा लेने गए हैं जो अभी तक वापस नहीं लौटे हैं। सदियों से एक कुंड का पानी इस आस में उबल रहा है कि भिक्षा लेने गए गुरु गोरखनाथ आएंगे तथा मां ज्वालामुखी के हाथों से बनी खिचड़ी खाएंगे। वास्तव में कुंड में उबलता पानी खिचड़ी का पात्र है जो गुरु गोरखनाथ की भिक्षा में लाए जाने वाले अन्न का इंतजार कर रहा है। देश भर में मनाए जा रहे खिचड़ी उत्सव के बीच ज्वालामुखी के गोरख डिब्बी की खिचड़ी का अपना महत्व है।

प्रसाद के रूप में बांटी जाती है खिचड़ी

गुरु गोरखनाथ भिक्षा लेकर तो नहीं लौटे पर आज भी यहां पर खिचड़ी बनाई जाती है और उसका भोग गुरु गोरखनाथ लगाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। मंकर संक्रांति पर इस खिचड़ी के आयोजन का शुभारंभ भी हुआ था।

यह है पौराणिक कथा

ब्रह्मांड पर अपने आध्यात्मिक भ्रमण के दौरान महान योगी गुरु गोरखनाथ कांगड़ा के ज्वालामुखी शक्तिपीठ पहुंचे थे। योगी के चरण अपने शक्तिपीठ में पड़ते ही माता ने उन्हें भोजन का निमंत्रण दियाए लेकिन गुरु गोरखनाथ ने भोजन ग्रहण करने को लेकर इसलिए मना कर दिया था कि वह शुद्ध वैष्णव होने के नाते उस स्थान पर भोजन नहीं कर सकते जहां मास मदिरा चढ़ाया जाता हो। माता ज्वालामुखी के बार.बार आग्रह के बाद गुरु गोरखनाथ ने यह कहकर भोजन का निमंत्रण स्वीकार किया कि वह खुद भिक्षा लाएंगे तब तक खिचड़ी के लिए मां पानी उबाले।

माता की शक्ति से उबल रहा पानी, छूने पर है ठंडा

माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ ने उबलते पानी में विभूति डाल दी थीए जिससे उबलता पानी भी ठंडा ही है। गोरख डिब्बी में सदियों से नाथ संप्रदाय के बाबा पूजा पाठ करते आ रहे हैं। यहां खिचड़ी के लिए उबलते पानी को धूप या ज्योति दिखाते ही ज्वाला की लपटें उभरती हैं, जबकि हाथ लगाने से यह बिल्कुल ठंडा है।

आज भी बनती है खिचड़ी, लगता है भोग

यहां पर खिचड़ी बनाकर सबसे पहले गुरु गोरखनाथ को भोग लगता है। दो साल से कोरोना के कारण यहां खिचड़ी का सूक्ष्म स्तर पर ही आयोजन हो रहा है। गुरु गोरखनाथ शुद्ध वैष्णव थे। इसलिए आज भी गोरख डिब्बी में शुद्ध वैष्णव खिचड़ी बनाई व परोसी जाती है।

खिचड़ी से होती है आरोग्य में वृद्धि

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक खिचड़ी का मुख्य तत्व चावल और जल चंद्रमा के प्रभाव में होता है। इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना गया है। वहीं हल्दी का संबंध गुरु ग्रह से और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। वहीं खिचड़ी में पडऩे वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसके अलावा घी से शुक्र और मंगल भी प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से आरोग्य में वृद्धि होती है।