निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ ममता बनर्जी का धरना

उज्जवल हिमाचल। कोलकाता

केंद्रीय बलों के खिलाफ ममता की टिप्पणी और कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय से एकजुट होकर तृणमूल के पक्ष में वोट करने वाले बयान के बाद निर्वाचन आयोग ने आदेश जारी कर सोमवार रात 8:00 बजे से मंगलवार रात 8:00 बजे तक उनके चुनाव प्रचार पर रोक लगा दिया है। इससे ममता भड़की हुई हैं। चुनाव प्रचार पर 24 घंटे के लिए पाबंदी लगाए जाने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज मंगलवार को कोलकाता में दोपहर 12:00 बजे से दिनभर धरना देंगी।

ममता ने एक दिन पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी। ममता ने ट्वीट किया कि निर्वाचन आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में मैं मंगलवार दिन में 12 बजे से गांधी मूर्ति, कोलकाता में धरने पर बैठूंगी। इधर, धरने के बाद रात आठ बजे के बाद ममता दो सभा भी करेंगी। इधर, निर्वाचन आयोग ने सोमवार शाम को जारी अपने आदेश में कहा है कि आयोग पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों के दौरान ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें।

बंगाल में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से शुरू हुआ और आठ चरणों में हो रहे चुनाव के बाकी चार चरणों का मतदान 17 अप्रैल से 29 अप्रैल के बीच होगा। चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए तृणमूल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता के बारे में हमेशा संदेह था, लेकिन आज इसने जो भी दिखावा किया है, वह स्पष्ट है। अब यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग मोदी/शाह के इशारे पर और उनके सीधे आदेश के तहत काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है। हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन है। उन्होंने कहा कि आयोग बिल्कुल कमजोर पड़ चुका है। 12 अप्रैल हमारे लोकतंत्र में काला दिन है। हमें हमेशा मालूम था कि हम बंगाल जीत रहे हैं। उन्हीं के सुर में सुर मिलाते हुए एक अन्य पार्टी नेता कुणाल घोष ने आयोग के फैसले पर कहा कि आयोग भाजपा की शाखा की भांति बर्ताव कर रहा है। यह पाबंदी ज्यादती है एवं इससे अधिनायकवाद की बू आती है। आयोग का एकमात्र लक्ष्य बनर्जी को चुनाव प्रचार से रोकना है। क्योंकि भाजपा पहले ही हार भांप चुकी है। यह शर्मनाक है।