18 क्विंटल मक्खन से होगा माता श्री बज्रेश्वरी की पिंडी का श्रृंगार

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

आज मकर संक्रांति है और मां श्रीबज्रेश्वरी की पिंडी पर घृत का लेप करके घृतमंडल बनाया जाएगा। इसेक लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई है। वही मंदिर के पुजारियों द्वारा माता की पिंडी को मक्खन से श्रृंगार करने के लिए लगभग किवंटल 18 क्विंटल मक्खन को तैयार कर लिया। कोरोना संकट के कारण लगाई गई पाबंदियों के कारण इस बार माता श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में इस भव्य आयोजन को देखने के लिए इतना श्रद्धालुओं का हजूम नहीं उमड़ा है।

देसी घी दान में देने का सिलसिला श्रद्धालुओं द्वारा रूका नहीं है। आज मां के भव्य घृतमंडल का निर्माण किया जाएगा। हालांकि कोरोना महामारी के चलते न तो कोई बड़ा आयोजन हो रहा है और न ही मां का श्रृंगार होते श्रद्धालु देख सकेंगे। ऐसे में सिर्फ पुजारी ही मां का श्रृंगार करेंगे। वहीं घी से मक्खन बनाने वाले पुजारियों का भी पहले कोरोना टेस्ट हुआ है। रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही घी से मक्खन बनाने का काम कर सके हैं।

प्रसाद के रूप में बांटा जाता है घृतमंडल में स्थापित मक्खन

मां बज्रेश्वरी देवी जी का मंदिर 51 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है। मां बज्रेश्वरी देवी के दर्शनों के लिए यहां पूरे भारत से श्रद्धालु आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती के पिता दक्ष द्वारा किए यज्ञ में उन्हें न बुलाने पर उन्होंने अपना और भगवान शिव का अपमान समझा और उसी हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए थे। इन घावों व जालंधर दैत्य से युद्ध के दौरान आए जख्मों को भरने के लिए माता के शरीर पर यह लेप लगाया जाता है।

माता श्री बज्रेश्वरी देवी की पिंडी पर चढ़ाया गया मक्खन बेहद शुद्ध माना जाता है तथा शरीर में होने वाली दर्द अथवा चरम रोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शरीर पर होने वाली फोड़े-फुंसियों पर मक्खन का लेप लगाने से राहत मिलती है तथा चर्म रोग पर मक्खन का लेप लगाने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। मक्खन की महत्ता को लेकर दूर-दूर से श्रद्धालु मक्खन रूपी प्रसाद प्राप्त करने के लिए माता ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में पधारते हैं।

मंदिर अधिकारी दलजीत शर्मा ने बताया कि इस मर्तबा पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा मक्खन तैयार किया गया है और इस बार अधिक श्रद्धालुओं को मक्खन रूपी प्रसाद में बांटा जाएगा।