हिमाचल के इस मंदिंर में दो भागों में बंटे शिवलिंग की यहां होती है पूजा, जानें इसके पीछे का रहस्य

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

आपने अधिकतर जगह भगवान शिव की पूर्ण् ्प्रतिमा भी पूजा होते हुए देखी होगी। लेकिन देश में एक ऐसी जगह जहां दो भागों में बंटे शिवलिंग की पूजा होती है। यही नहीं दो भागों का आकार भी एक जैसा नहीं है। वैसे इसे अध्नारर््ीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित काठगढ़ महादेव का यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है। जहां दो भागों में बंटा ‌शिवलिंग हैं।

माना जाता है कि मां पावती् और भगवान शिव के दोनों भागों के बीच का अंतर घटता बढ़ता रहता है। यह अंतर ग्रहों व नक्षत्रों के परिवत्तिर्त होने के अनुसार ही बदलता रहता है।

गमिर्यो में इस प्रतिमा के बीच काफी अंतर आ जाता है। वहीं सदियों के यह अंतर कम हो जाता है और दोनों रूप एक रूप धारण कर लेते हैं।यह शिवलिंग अष्टकोणीय है और काले भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊचांई 7.8 फीट और पावर्ती् के रूप में अराध्य का हिस्सा 5.6 फुट ऊंचा है।

माना जाता है कि, जब विश्व विजेता सिंकदर पंजाब पहुंचा तो उससे पूर्व् मीरथल नामक गांव में पांच हजार सैनिको को खुले मैदान में आराम करने के लिए कहा। उसी समय सिंकदर ने देखा कि एक फकीर शिवलिंग की पूजा कर रहा में व्यस्त था तो सिंकदर ने उसे अपने साथ यूनान चलने को कहा। जिसे फकीर ने नकार दिया।

इस बात से प्रभावित होकर सिंकदर ने काठगढ़ महादेव मंदिर बनाने के लिए चारदीवारी बनवाई और ब्यास नदी की ओर अष्टकोणीय चबूतरे बनवाए जो आज भी है।