कामयाबी के लिए कद नहीं रखता काेई मायने

उज्जवल हिमाचल। जालंधर

इंसान की काबिलियत उसके रंग-रूप या शरीर के आकार से नहीं आंकी जा सकती। फिर भी हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो इन वजहों से किसी की क्षमता पर सवाल उठाने लगते हैं। कामयाबी के आसमान को छूने के लिए कद का बड़ा होना जरूरी नहीं, बल्कि हौसला बड़ा होना चाहिए। रामामंडी के अरमान नगर की हरविंदर कौर उर्फ रूबी को भी अपने छोटे कद के कारण लोगों के ताने सुनने पड़े। तीन फीट 11 इंच (119.38 सेंटीमीटर) कद वाली हरविंदर कहती हैं कि भीड़ में खुद को सबसे अलग महसूस करना, लोगों की हंसी का पात्र बनना और खुद को कमरे में बंद रखना, यह ऐसी पीड़ा है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन रूबी ने इस पीड़ा को अपनी प्रेरणा बना लिया और एडवोकेट बनकर लोगों के तानों का जवाब दिया।

रूबी इस दर्द को अपने भीतर दबाए समाज की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटी रहीं। अब वे देश की सबसे छोटे कद की एडवोकेट बन गई हैं और ज्यूडिशियल सॢवसिज की तैयारी कर रहीं हैं। बार एसोसिएशन जालंधर के पूर्व प्रधान राज कुमार भल्ला के अनुसार हमारी एसोसिएशन ने इस बात की तस्दीक की है कि देश में अभी तक हरविंदर कौर से छोटे कद की कोई महिला एडवोकेट नहीं है। वे कई चुनौतियों को पार कर यहां तक पहुंचीं हैं।

हरविंदर कहती हैं कि डेढ़ माह पहले एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद जब एनरोलमेंट सर्टिफिकेट मिला तो माता-पिता की आंखों में खास चमक दिखी। ऐसे लगा, जैसे उन्हेंं कई सालों के बाद कोई बड़ी खुशी मिली हो। हरविंदर को 23 नवंबर को बार काउंसिल आफ पंजाब एंड हरियाणा से लाइंसेंस व एनरोलमेंट सर्टिफिकेट मिला था। वह अब क्रिमिनल केस हैंडल करना चाहती हैं। वह अभी डीबीए के वाइस प्रेसिडेंट जगपाल सिंह धुपर के पास प्रेक्टिस कर
रही हैं।

हरविंदर के पिता शमशेर सिंह फिल्लौर ट्रैफिक पुलिस में एएसआइ और मां सुखजीत कौर गृहिणी हैं। हरविंदर की 12वीं तक की स्कूलिंग पुलिस डीएवी स्कूल जालंधर कैंट से हुई। बचपन में उनकी ख्वाहिश एयर होस्टेस बनने की थी, लेकिन चौथी कक्षा में आकर उनका कद बढऩा बंद हो गया। माता-पिता ने हरसंभव इलाज करवाया। पता चला कि हार्मोंस की कमी के कारण उनकी हड्डियों का विकास रुक गया है। हार कर यही सोचा कि 12वीं तक पढ़ाई करके घर बैठ जाएंगी।

हरविंदर कौर ने लोगों के तानों से दुखी होकर खुद को सारा दिन कमरे में बंद रखना शुरू कर दिया था। वह क्लासरूम से अकेले बाहर निकलने से डरती थीं। हर वक्त कोई न कोई उनके साथ रहता था। उन्होंने किसी भी फंक्शन में जाना छोड़ दिया, लेकिन 12वीं की परीक्षाओं के बाद छुट्टियों में मोटिवेशनल लेक्चर व वीडियो देखनी शुरू की। इससे मन में आया कि जिदंगी को ऐसे ही बर्बाद नहीं किया जा सकता। इंटरनेट मीडिया से जुड़ीं और कई तरह की वीडियो बनाई। हालांकि, यहां भी मजाक उड़ाने वालों की कमी नहीं थी।

एक वीडियो में तो लोगों ने यहां तक कमेंट कर दिया कि आपने तो अपने से बड़ा मोबाइल फोन उठाया हुआ है, लेकिन हरविंदर ने इनकी परवाह नहीं की। 2015 में 70 फीसद अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की और लॉ करने की सोची। लॉ की पढ़ाई शुरू की तो यहां भी लोगों ने उन्हेंं हतोत्साहित किया। हरविंदर ने जवाब दिया कि वह लॉ ही नहीं ज्यूडिशियल सॢवस में जाएंगी। तब एक रिश्तेदार ने कहा कि तुम इतनी छोटी हो कि जज की कुर्सी पर बैठी नजर नहीं आओगी। हरविंदर ने जवाब दिया तब लोग मेरा कद नहीं पद देखेंगे।

हरविंदर कहती हैं कि खुद से प्यार करें, लाइफ में दो ही रास्ते आते हैं। एक यह कि आप अपने डर के आगे हार जाओ और दूसरा यह की अपने डर के साथ लड़ कर आगे बढ़ो। जो आपकी शारीरिक कमियों को देखते हैं, उन्हें अपने काम व हौसले से जवाब दो। आप अपनी प्रेरणा खुद हो। चंद्र बहादुर डांगी का नाम 55 सेंटीमीटर कद की वजह से विश्व रिकार्ड में शामिल हुआ था। उनकी तीन सितंबर 2015 को मौत हो गई थी। नागपुर की ज्योति आमगे का कद 62.8 है। अब विश्व के सबसे छोटे कद का रिकार्ड उनके नाम है। अजमेर की जिला कलेक्टर आरती डोगरा तीन फीट दो इंच की हैं। वह इतने छोटे कद की पहली आइएएस अफसर हैं।