अब बेटियां किसी पर बोझ नहीं : मीनू पठानिया

एसके शर्मा। हमीरपुर

हमीरपुर कोरोना संकट में हर किसी के हाथ मदद बे देश सेवा के लिए आगे बढ़ रहे हैं। वहीं, पर इंग्लैंड से आई 23 वर्षीय हमीरपुर की बेटी मीनू पठानिया कोरोना काल में अपनी अहम भूमिका निभा रही है । इसी कड़ी में मीनू पठानिया ने कुछ दिन पहले कांगड़ा डीसी राकेश प्रजापति को सनराइज मास्क हैंड ग्लव्स भेंट किए और साथ में उन्हें हिमाचली शॉल टोपी देकर सम्मानित किया और मीनू पठानिया ने हमीरपुर डीसी देब्श्वेता बनिक सैनेटाइजर मास्क हैंड ग्लव्स देकर और पहाड़ी टोपी और शाल देकर सम्मानित किया। वहीं, बड़सर के गरीबों के मसीहा विधायक इंद्र दत्तलखनपाल को टोपी पहनाकर सम्मानित किया तथा उनके इस कोरोना काल में किए गए।

कामों की सराहना की इंग्लैंड से आई हमीरपुर की बेटी मीनू पठानिया ने कहा आज से कई वर्ष पहले समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव किया जाता था, लेकिन अब समय बदलने लगा है। समाज में अब लड़कियों को भी लड़कों की तरह सम्मान मिलने लगा है। लड़कियां लड़कों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन अभी भी कुछ समाज के लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। लोग उसी पुराने रीति-रिवाज के मायाजाल में फंसे हुए हैं। इसे लेकर हम लड़कियों को एक जोरदार आंदोलन करना होगा। आज लड़कियां हिमालय के शिखर तक पहुंच गई हैं। चांद की यात्रा भी कर चुकी हैं। यहां तक कि भारत वर्ष के सर्वोच्च पद पर भी महिला आसीन हो चुकी है।

इसलिए आज की नई पीढ़ी की लड़कियों को यह नहीं समझना चाहिए कि लड़कियां लड़कों से कम या कमजोर हैं। लड़कियों को पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े होकर समाज के लिए कुछ करना चाहिए और समाज के उन पुराने खयालात के लोगों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। अगर अब उसकी आवाज दब गई तो दबी ही रह जाएगी। इसलिए समाज में पहचान चाहिए, तो खुद अपनी पहचान बनानी होगी। लड़कियां आज बोझ नहीं हैं वे भी पढ़-लिखकर समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं।

घर में पुराने जमाने के लोग समझते हैं कि बेटियां तो बड़ी होकर अपने पति के घर चली जाएंगी। उसे अधिक पढ़ाने से क्या लाभ होगा। बेटे पढ़ेंगे, तो अपने घर का नाम रोशन करेंगे, लेकिन अब जमाना बदल रहा है। बेटियां जितना अपने माता-पिता की सेवा कर सकती हैं, उतना बेटा नहीं कर सकता है। बेटियां अपने घर सहित पति के घर को भी बसाती हैं। समाज के उन लोगों से मैं कहना चाहूंगी कि अपनी बेटियों को जरूर पढ़ाएं और उसे आत्मनिर्भर बनाएं, क्योंकि बेटियां कभी किसी पर बोझ नहीं हुआ करती है।