नूरपुरः अब नगर परिषद वसूलेगा नए गृह टैक्स

विनय महाजन। नूरपुर

नूरपुर नगर परिषद द्वारा शहर में  गृह कर के लिए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से नई दरें लागू करने का मसौदा तैयार कर लिया गया है। 15 मार्च तक शहरवासियों को  आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए 15 मार्च का समय दिया गया है उसके बाद  नई टैक्स स्लैब नगर परिषद द्वारा लागू कर दी जाएगी। शहरवासियों की इस मामले में नीद हराम। उल्लेखनीय है कि शहर में 1950 के बाद पहली बार नए सिरे से टैक्स स्लैब में बदलाव किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार की कड़ी हिदायतों के बाद नगर परिषद को गृह करों की नई दरें लागू करनी पड़ रही है। इससे पहले शहर में नगर परिषद अपने मन मुताविक गृह कर बसूलती थी जो केंद्र सरकार द्वारा काफी कम आंका जा रहा था। नई टैक्स प्रणाली में नूरपुर शहर में बने कच्चे घर से लेकर मैरिज हाल तक टैक्स के दायरे में लाये गए है।

नई टैक्स प्रणाली में टैक्स की वैल्यू निकालने के लिए 6 फैक्टर तय किये गए है। शहर को 2 जोन में बांटा गया है। जोन ए को पॉश क्षेत्र में रखा गया है जबकि जोन बी को सामान्य क्षेत्र में रखा गया है। नगर परिषद से मिली जानकारी अनुसार सम्पति की टैक्स की सालाना वैल्यू निकालने के लिए लोकेशन फैक्टर, स्ट्रक्चर फैक्टर, ऐज आयु सीमा फैक्टर, जोन फैक्टर, यूज उपयोग फैक्टर, ऑक्यूपेंसी फैक्टर अमल में लाया जाएगा। पॉश क्षेत्र का रेट 3 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखा गया है जबकि सामान्य क्षेत्र का रेट 2 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखा है। नगर परिषद द्वारा शहर के पक्के भवनों से लेकर कच्चे भवनों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। स्ट्रक्चल फैक्टर में कच्चे भवन के लिए 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर, सेमी कच्चा भवन 2 रुपये प्रति वर्ग मीटर तथा पक्का भवन 3 रुपये प्रति वर्ग मीटर रेट तय किए है।

नगर परिषद द्वारा लगाए गए नए टैक्स स्लैब में भवनों को ऐज आयु सीमा फैक्टर में बांटा गया है। शहर में 1970 से पहले बने हुए भवनों को 1 रुपये प्रति फैक्टर वैल्यूए 1971 से 80 तक के भवनों को 2 रुपए प्रति फैक्टर, 1981 से 2000 तक के भवनों के लिए 3 रुपए प्रति फैक्टर, 2001 से 2020 तक 4 रुपये प्रति फैक्टर, 2021 से बने हुए भवनों के लिए 5 रुपये प्रति फैक्टर वैल्यू लगाई गई है। ऑक्यूपेंसी फैक्टर में निजी भवनों के लिए 3 रुपये वर्ग प्रति मीटर तथा किराए पर दिए गए घरों के लिए 5 रुपये प्रति वर्ग मीटरए यूज़ फैक्टर में रेजिडेंशियल सम्पत्ति को 2 रुपये प्रति वर्ग मीटर तथा नॉन रेजिडेंशियल का 3 रुपये प्रति वर्ग मीटर रेट आंका गया है। इसके अलावा होटल, रेस्तरां, बार, बैंक, कॉल सेंटर, मैरिज हॉल, कोचिंग सेंटर, प्राइवेट तथा सरकारी स्कूल, शिक्षण संस्थान, ढावे, गेस्ट हाउस, गोदाम, मोबाइल टॉवर, निजी कार्यालयों को भी नए टैक्स स्लैब में लाया गया है।

बैंकों और स्कूलों के टैक्स में नही होगी बढ़ोतरी…
नगर परिषद अनुसार बैंकों, स्कूलों तथा अन्य शिक्षण संस्थानों में नया टैक्स फैक्टर लगाया गया है लेकिन उक्त संस्थानों की टैक्स को पहले के अनुसार ही रखा जाएगा।  1970 तक के पॉश क्षेत्र के 80 वर्गमीटर के कच्चे मकान को सालाना 162 रुपये, सामान्य क्षेत्र के कच्चे मकान को 108 रुपये अधिकतम सालाना टैक्स लग सकता है। पॉश क्षेत्र के 2021 के बाद बने 100 वर्ग मीटर के पक्के भवन को अधिकतम 3037 रुपये सालाना तथा सामान्य क्षेत्र के भवन को 2025 सालाना टैक्स लग सकता है।

अभी लागू नहीं किया है.कार्यकारी अधिकारी…
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार नगर परिषद ने टैक्स प्रणाली में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि अभी टैक्स लागू नही किया गयाए बल्कि शहरवासियों को 15 मार्च तक आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि लोगों की आपत्तियां दर्ज करने के बाद नगर परिषद की बैठक में कम से कम टैक्स लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कर सामान्य है। यह जानकारी आशा वर्माए कार्यकारी अधिकारी नूरपुर ने दी है। नगर परिषद अध्यक्ष अशोक शर्मा उर्फ़ शिबू ने कहा कि ग्रह कर का मसौदा बैठक में सभी पार्षदों की मौजूदगी में पारित किया गया था। कांग्रेस समर्थित किसी भी पार्षद ने कोई भी आपत्ति नही की थी।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि गृह कर को सामान्य रूप से  कम से कम रेट पर लागू किया जाएगा।

शर्मा ने कहा कि इसकी आपत्ति के लिए शहरवासियों को 15 मार्च तक का समय दिया गया है। कृष्णा महाजन पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष नुरपुर ने कहा कि कांग्रेस समर्थित नगर परिषद ने कभी भी शहर पर टैक्स का भार नहीं डाला। उन्होंने 2 सालों तक सरकारी अधिसूचना को रोक कर रखा। उन्होंने कहा कि नई टैक्स प्रणाली से आम आदमी पर भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उक्त टैक्स प्रणाली को लागू न करे।न्यु टैक्स प्रणाली से  हर शहर वासी पर भार पडेगा। भाजपा समर्थित नगर परिषद ने इस विइ में टैक्स का आकलन काफी कम किया है। भारत सरकार के आदेश को कैसे रोका जा सकता है। उस समय काग्रेस समर्थित नगर परिषद ने गौर किया होता शायद ऐसी नौबत आज नहीं होती।