प्रदेश का एक ऐसा गांव…! जहां आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी सड़क….

आज भी बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को पालकी में उठाकर करते हैं कई किलोमीटर का सफर

उज्ज्वल हिमाचल। नूरपुर

भारत को आजादी मिले 75 वर्ष पूर्ण हो चुकें हैं। इन 75 वर्षों में देश में अनगिनत विकास की गाथाएं लिखी गई है। फिर बात चाहे जमीनी विकास की हो या विशाल नीले समंदर की , या फिर अंतरिक्ष में हर तरफ हर दिशा में भारत अपना लोहा मनवा चुका है। भारत के हिमाचल प्रदेश के ऐसे गांव की जो आज भी सड़क तथा यातायात जैसी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। विधानसभा नूरपुर की पंचायत मिझग्रां के कोने पर बसा इस गांव के लोग आज भी मरीजों को पालकी में डालकर अस्पताल पहुंचाते हैं।

पंचायत मिझग्रां का कैंबल बल्ला नामक इस गांव में सड़क एंबुलेंस जैसी बात यहां रहने वाले लोगों को एक स्वप्न जैसी लगती है ।50 से 60 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग 3 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। आखिर कार जब रास्ता पैदल चलने योग्य भी नहीं रहा तो गुस्साए ग्रामीणों ने स्वयं ही इस रास्ते को पैदल चलने योग्य बनाया।लोगों का कहना है कि जब विधानसभा, लोकसभा, तथा पंचायतीराज चुनाव सर पर होते हैं तो प्रतिनिधि हाथ जोड़ते हुए इस गांव में वोट मांगने पहुंच जाते हैं।

बड़े ही शर्म की बात है हमारे लिए और हमारे सरकारी तंत्र के लिए कि किसी बुजुर्ग अथवा गर्भवती महिलाओं को ये लोग पालकी में उठाकर लगभग 3 किलोमीटर का पैदल सफर करते हुए सड़क तक पहुंचते हैं।स्थानीय निवासियों ने केंद्र व राज्य सरकार व प्रशासन से आग्रह करते हुए कहा है कि उनके गांव तक एंबुलेंस मार्ग बनाया जाए ताकि किसी भी प्रकार की एमरजेंसी में लोगों को एंबुलेंस की सुविधा मिल सके।

संवाददाताः विनय महाजन

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