‘हजारों अनाथों की मां’ को मिला पद्मश्री अवॉर्ड

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2021 के पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इसमें सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने वाली सिंधुताई सपकाल है। सिंधुताई या माई को ‘हजारों अनाथों की मां‘ भी कहा जाता है। वह अब तक करीब 2 हजार अनाथों को गोद ले चुकी हैं। सिंधुताई का जन्म वर्धा के एक गरीब परिवार में हुआ था। देश में पैदा होने वाली कई लड़कियों की तरह सिंधुताई ने भी अपने जन्म के बाद से ही भेदभाव का सामना किया। उनकी मां अपनी बेटी की शिक्षा के खिलाफ थीं,लेकिन पिता चाहते थे कि सिंधुताई पढ़ें। ऐसे में वह बेटी को मां की नजरों से बचाकर पढ़ने के लिए भेजते थे। मां को लगता था कि बेटी मवेशी चराने गई है। जब वह 12 साल की थीं, तो उम्र में 20 साल बड़े लड़के के साथ शादी कर दी गई।

उन्हें पति कई बार अपमानित करता था। इसके बाद किशोरावस्था में सिंधुताई अपने हक के लिए खड़ी हुईं। उन्होंने वन विभाग और जमींदारों की तरफ से उत्पीड़न का सामना कर रही स्थानीय महिलाओं के हक में लड़ना शुरू किया। जब वह 20 साल की उम्र में चौथी बार गर्भवती हुईं,तो गांव में उनके चरित्र पर सवाल उठाए गए।

अफवाहों पर भरोसा कर उनके पति ने बुरी तरह पीटा और मरने के लिए छोड़ दिया। ऐसे में उन्होंने एक तबेले में बेटी को जन्म दिया। जब उन्होंने घर लौटने की कोशिश की तो मां ने बेइज्जत कर घर से बाहर निकाल दिया। उन्होने रास्तों और ट्रेन में भीख मांगना शुरू किया। वहीं,अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए शमशान और तबेलों में रातें काटी।

उन्होंने अनाथ बच्चों के साथ समय गुजारना शुरू किया और करीब एक दर्जन को गोद भी ले लिया. तभी 1970 में उनके शुभचिंतकों ने सिंधुताई की चिकलदारा में पहला आश्रम खोलने में मदद की। उनका पहला एनजीओ सावित्रीबाई फुले गर्ल्स हॉस्टल भी वहीं पर है। उन्होंने अपना जीवन अनाथों के नाम कर दिया। उनके गोद लिए कुछ बच्चे आज वकील और डॉक्टर  हैं।