पराशर ने 25 मेडिकल कैंप में निशुल्क वितरित की 2135 कानों को सुनने वाली मशीनें

संजय द्वारा लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों में आए दस फीसदी लाभार्थी बहरेपन का शिकार

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

ग्रामीण क्षेत्राें में बहरेपन व श्रवण हानि के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा है, लेकिन 40 की उम्र पार करने वाले भी इस समस्या से ग्रसित हो रहे हैं। यह चौंकाने वाली बात कैप्टन संजय द्वारा आयोजित किए गए मेडीकल कैंपों में सामने आई है, जहां कुल लाभार्थियों में दस प्रतिशत बहरेपन का शिकार पाए गए। सुखद बात यह रही कि इन कैंपों का ग्रामीण जनता को भरपूर लाभ मिला है। अब तक स्वास्थ्य शिविरों में 2135 मरीजों को कानों को सुनने की मशीनें पराशर द्वारा निशुल्क उपलब्ध करवाई गईं। संजय द्वारा जसवां-परागपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों में 25 मेडीकल कैंपों का आयोजन किया जा चुका है। इन स्वास्थ्य शिविरों में आंखों व शरीर के टेस्ट के अलावा मरीजों का मशीन से बधिरता का परीक्षण किया जाता है। उसके बाद कानों को सुनने वाली मशीनें मौके पर ही वितिरत कर दी जाती हैं। इससे विशेष रूप से बुजुर्गों को अब पहले से बेहतर सुनाई देने लगा है।

कैप्टन संजय ने पहला मेडीकल कैंप जसवां-परागपुर क्षेत्र के स्वाणा गांव में लगाया था। इस कैंप में पहुंचे कई मरीजों ने पराशर से आग्रह किया था कि कानों की जांच के लिए भी विशेषज्ञों की टीम शिविर में होनी चाहिए। उसके बाद पराशर ने ऑडियोलॉजिस्ट व ऑडियोमेट्री सहायक को भी कैंप में सेवाएं देने के लिए बुला लिया। अब तक लगे स्वास्थ्य शिविरों में 20,821 लाभार्थी पहुंचे, जिनमें से अकेले 4263 ने कानों की जांच करवाई। हैरान करने वाली बात है कि 2135 को ऑडियोलॉजिस्ट ने कानों की मशीन लगाने की सलाह दी। वहीं, संजय के इन कैंपों में 2302 को कानों की दवाई भी दी गई। इन स्वास्थ्य शिविरों में पहुंचे लाभार्थियों सीता राम, भगवती देवी, सुलोचना, निक्का राम, बालकृष्ण, तेज लाल, प्रकाश चंद, करतार सिंह, राज कुमारी और प्रीतम सिंह ने बताया कि उन्हें सुनाई कम देता था।

इसके बाद उन्होंने जब पराशर के शिविर में जांच करवाई तो निशुल्क मशीनें दी गईं। अब उन्हें पहले से बेहतर सुनाई देने लगा है, जिसके लिए संजय का आभार व्यक्त करते हैं। वहीं, कान, नाक व गला रोग विशेषज्ञ डाॅ. संजीव शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से कम सुनने की बीमारी बढ़ रही है। 50 की आयु से पहले के लोग लोग भी बहरेपन की समस्या का शिकार होने लगे हैं, जोकि एक भयावह स्थिति है। यह बीमारी अधिक शोर में काम करने, कान में इंफेक्शन होने के बाद इलाज न करवाने, चोट लगने और निरंतर मोबाइल व हेडफोन का प्रयोग करने से भी बढ़ रही है। कान में दर्द, खुजली व पानी बहने से श्रवण शक्ति कम होने का खतरा बना रहता है और समय पर इलाज करवाना चाहिए। बुजुर्गों के लिए कानों की मशीन एक बेहतरीन विकल्प है और इससे उन्हें अधिक सुनाई देने में मदद मिलती है। कैप्टन संजय ने कहा कि भविष्य में लगने वाले कैंपों में भी ऑडियोलॉजिस्ट व ऑडियोमेट्री सहायक मौजूद रहेंगे। बताया कि कानों की मशीन की बैटरी खत्म होने पर उनकी टीम मरीज को निशुल्क व्यवस्था करती है।