चेक या इंटरेनट बैंकिग से ही धनराशि का भुगतान करते हैं पराशर

सामाजिक सरोकारों क लिए लाखों रूपए का चेक के माध्यम से हाेता है भुगतान

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नकदी के कम इस्तेमाल वाली अर्थव्यस्था के अभियान को कैप्टन संजय पराशर ने भी यथार्थ के धरातल पर उतारा है। डिजिटल भुगतान के तहत ही पराशर सामाजिक सरोकारों में अपना योगदान दे रहे हैं। चाहे सौ रूपए का भुगतान करना हो या फिर लाखों रूपए का चेरिटी फंड कहीं देना हो, पराशर चेक के माध्यम या इंटरेनट बैंकिग से ही धनराशि खर्च करते हैं। समाजसेवा के कार्य को पराशर पूरी पारदर्शिता के साथ कर रहे हैं। वैसे सन 2011 से ही कैप्टन संजय ने बैंक के चेक के माध्यम से ही काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी के बाद उन्होंने पूरी तरह से डिजिटल भुगतान करना शुरू कर दिया।

उन्होंने पिछले दो वर्ष में पीएम केयर्स फंड, सीएम रिलीफ फंड, कोरोना की दूसरी लहर में दवाईयां व मेडीकल उपकरण, स्कूल व कॉलेजों के भवन निर्माण, धामिर्क स्थलों के जीर्णोद्धार, खेल मैदानों के निर्माण और विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप की करोड़ों रूपए की राशि खर्च की, लेकिन सभी जगहों पर राशि चेक के द्वारा ही दी गई। दिलचस्प बात यह भी है कि देश की नामी शिपिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय की जेब में कभी भी दो हजार रूपए से ज्यादा की राशि नहीं होती है। इस कारण कई बार उन्हें दिक्कताें का सामना भी करना पड़ता है। बावजूद वह डिजिटल भुगतान को ही तरजीह देते हैं। पराशर का कहना है कि वह पिछले कई वर्षों से इसी तरह कंपनी और खुद के कार्य करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने जो डिजिल इंडिया का सपना देखा था, उसके बाद यह संकल्प ले लिया था। इसके अलावा डिजिटल इंडिया अभियान के तहत वह ग्रामीण क्षेत्रों डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम भी शुरू कर चुके हैं, जिसके तहत जसवां-परागपुर क्षेत्र के मेहड़ा में निःशुल्क कंप्यूटर सेंटर खोला जा चुका है। ज्ञात रहे कि संजय अकेले अपने दम पर करोड़ों रूपए सामाजिक कार्यों पर खर्च कर रहे हैं। मुंबई में वह समुद्री सुरक्षा से लेकर स्थानीय सरोकारों में व्यक्तिगत रूप से बड़ी भूमिका निभाते रहे, तो हिमाचल में कोरोनाकाल में करोड़ों रूपए की दवाईयां और मेडीकल उपकरणों पर उन्होंने अपनी धनराशि खर्च की।

कैप्टन संजय पराशर वन मैन आर्मी हैं। जितने भी वह समाजसेवा और परोपकार के कार्य कर रहे हैं, उनमें सिर्फ वह अपने ही संसाधनों का प्रयोग करते हैं। संजय पराशर का कहना है कि उन्होंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि वह अपनी ही नेक कमाई का कुछ अंश समाजसेवा के कार्यों पर खर्च करेंगे। परमात्मा की कृ़पा से मानवता की सेवा करने का मौका मिला है, तो वह ये कार्य कर रहे हैं।