शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने क्या किया

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

सावन मास भगवान शिव और माता पार्वती को बहुत अधिक प्रिय है। इसी सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव का आ थ। जिसके उपलक्ष्य में इस तिथि को हरियाली तीज के पर्व के रूप मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए वो पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करती हैं। आइये जानते हैं हरियाली तीज के पौराणिक कथा के विषय में

हरियाली तीज कथा
हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार माता सती ने हिमालयराज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पतिरूप में पाने की कामना कर ली थी। गुजरते समय के साथ जब माता पार्वती विवाह योग्य हो गई तो पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर तलाशने लगे थे। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालयराज को भी भगवान विष्णु दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी।

पिता हिमालय के रजामंदी को जानकर माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थीं। इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया। वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं। एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।