धर्मगुरु दलाईलामा को शांति पुरस्कार की 31वीं वर्षगांठ पर सजी प्रदर्शनी

उमेश भारद्वाज। मंंडी
भारत-तिब्बत मैत्री संघ द्वारा धर्मगुरु दलाईलामा को शांति पुरस्कार की 31वीं वर्षगांठ पर मंडी के सेरी मंच पर आयोजित  प्रदर्शनी का समापन किया गया । इस प्रदर्शनी में  धर्मगुरु दलाईलामा के पूरे जीवन को प्रदर्शित किया गया है। समापन के मौके पर श्रवण मांटा ने भी  प्रदर्शनी का अवलोकन किया। बता दे कि बौद्ध धर्म के धर्म गुरु दलाईलामा को 10 दिसंबर 1989 को शांति नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था।
दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तेसेर क्षेत्र में रहने वाले एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम ल्हामो थोंडुप था जिसका अर्थ है मनोकामना पूरी करने वाली देवी। बाद में उनका नाम तेंजिन ग्यात्सो रखा गया। उन्हें मात्र दो साल की उम्र में 13वें दलाई लामा थुबटेन ज्ञायात्सो का अवतार बताया गया था। छह साल की उम्र में ही मठ के अंदर उनको शिक्षा दी जाने लगी। एडीएम मंडी श्रवण मांटा ने कहा कि धर्मगुरु दलाईलामा के जीवन को लेकर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि दलाईलामा के आदर्शों को संपूर्ण विश्व में माना जाता है और सर्वधर्म समभाव की ओर प्रेरित करता है।