प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुई पौंग झील, करीब एक लाख विदेशी मेहमान पहुंचे

उज्जवल हिमाचल। नगरोटासूरियां

विश्व वैटलैंड पौंग झील प्रवासी पक्षियों से गुलजार हो रही है। अब तक पौंग झील में 90 प्रजातियों के करीब एक लाख पक्षी पहुंच चुके हैं। सर्दी के मौसम में इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो जाती है। बड़ी बात यह है कि पौंग झील के रेंसर टापू में इस बार लेसर व्हाइट फ्रंटेड गीज व ग्रेटर व्हाइट फ्रंट गीज नामक दुर्लभ प्रजाति के साइबेरियन पक्षियों ने दूसरी बार अपनी आमद दर्ज करवाई है। यह दोनों ही प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। लेसर व्हाइट-फ्रंटेड गीज़ की विशेषता में यह पक्षी 64 से 81 सेंटीमीटर लंबा है, और इसके 130 से 165 सेंटीमीटर लंबे पंख और वजन 1.93 से 3.31 किलोग्राम तक वजन है। यह पक्षी ‘एग्रीमेंट ऑन दॅ कंजर्वेशन ऑफ ऐफ्रिकन-यूरेशियन माइग्रेटरी वाटरबर्ड्स (एईडब्लूए)’ के तहत ‘क्रिटिकली एंडेंजर्ड’ श्रेणी में है।

लेसर व्हाइट फ्रंटेड गीज दुर्लभ पक्षी है और यह पौंग झील में दूसरी बार देखा गया है। इस पक्षी की पिछले साल फरवरी में वार्षिक गणना के दौरान पहचान हुई थी। यह ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज़ जैसा ही है। यह यूरोप के जंगलों में ही अधिकतर रहता है और कभी-कभार बाहर आता है। अभी तक इस प्रजाति के अभी तक छह पक्षियों की पहचान हो पाई है, जो कि पौंग में पहुंचे हैं।

लेसर व्हाइट फ्रंटेड गीज 2013 में गुजरात में दिखाई दी थी तो ‘जर्नल ऑफ दॅ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ ने इस पर ‘फस्ट रिकॉर्ड ऑफ लेसर वाइट-फ्रंटिड गूज़ फ्रॉम गुजरात’ शीर्षक से रिपोर्ट छापी थी। कई देशों में यह प्रजाति कुछ ही महीने रहती है। भारत और पाकिस्तान के बाहरी इलाकों में इसे कभी-कभार देखा जाता है। यह सोवियत रूस के बेहद ठंडक वाले ऊपरी इलाकों में अंडे देती हैं और प्रजनन करती है।

मुख्‍य अरण्‍यपाल प्रदीप ठाकुर का कहना है दुर्लभ पक्षियों को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे देशों नॉर्वे, ग्रीस, बुलगारिया, स्वीडन और तुर्की में इस पक्षी के लिए विशेष प्रजनन परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। हंगरी में यह पक्षी पतझड़ के दो महीने और बसंत के दौरान एक महीने रहते हैं।