प्रो. कुलदीप ने भारतीय कालगणना के संदर्भ में किया विशेष कार्य

एसके शर्मा। हमीरपुर

ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान नेरी में ऑनलाइन ‘ठाकुर रामसिंह व्याख्यान माला’ (पाक्षिक) का आयोजन किया गया। व्याख्यान माला के प्रथम व्याख्यान के वक्ता प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, कुलपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला रहे व अध्यक्षता शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. विजय मोहन कुमार पुरी ने की। व्याख्यान माला के संयोजक एवं इतिहास दिवाकर पत्रिका के संपादक डॉ.राकेश कुमार शर्मा ने इसका संचालन किया।

प्रो. कुलदीपच चंद अग्निहोत्री ने कहा कि समाज में कुछ लोग इतिहास लिखते, पढ़ते व पढ़ाते हैं व कुछ लोग इतिहास बनाते हैं। ठाकुर राम सिंह ने इतिहास बनाया। उन्होंने अपने जीवन के 22 वर्ष नॉर्थईस्ट में व्यतीत किए। उन्होंने लोगों के बीच में जाकर उस क्षेत्र के इतिहास को समझा व समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण के आधार पर लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतीय कालगणना के संदर्भ में विशेष कार्य किया। भारत के इतिहास को भारत के दृष्टिकोण से लिखने के लिए प्रेरित ही नहीं किया।

अपितु हिमाचल प्रदेश के नेरी शोध संस्थान स्थापित करके इतिहास को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने उनके जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश के दो इतिहासकार हुए जिनमें एक प्रो. विपिन चंद्र सूद व दूसरे ठाकुर राम सिंह हुए। इन दोनों में केवल इतना अंतर है कि ठाकुर राम सिंह ने जन के बीच में जाकर भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास के अनछुए पहलुओं को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया व इतिहास लेखन को एक नई दिशा दी, जबकि विपिन चंद्र सूद ने पूर्व के इतिहासकारों की तरह लेखन कार्य किया।

शोध संस्थान नेरी के निदेशक व समन्वयक चेतराम गर्ग ने शोध संस्थान में किए जा रहे कार्यों के सदर्भ में विचार रखे। व्याख्यान माला में प्रोफेसर कुमार रत्नम, सदस्य सचिव, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली, शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. विजय मोहन कुमार पुरी, महासचिव भूमि दत्त शर्मा, सह-सचिव डॉ. विकास शर्मा, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार नन्दा, निदेशक डॉ. भाग चन्द चौहान व प्रेम सिंह भरमौरिया, किस्मत कुमार, अरविन्द रतन, उत्तराखंड से डॉ. सुशील कोटनाला, जम्मू से सुमेर खजूरिया, राजस्थान सेडॉ. धर्मचन्द्र चौबे, ऊना से डॉ. कृष्ण मोहन पाण्डेय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय देहरा परिसर से डॉ. कंवर चंद्र दीप, डॉ. राघवेन्द्र यादव, डॉ. राजीव कुमार, सोलन से शिव भारद्वाज, डॉ. संजय कांगो, डॉ. आरती, डॉ. सोमदेव, डॉ.मनोज, डॉ. जेपी शर्मा व जगवीर चंदेल सहित कई विद्वान उपस्थित रहे। डॉ.अग्निहोत्री ने इस पाक्षिक व्याख्यान माला की सफलता की कामना की।