नए रथ में विराजमान होकर पहली बार देवी जालपा पहुंची बड़ा देव के दरबार

संजीव कुमार। गोहर
शंकर भगवान के सावन माह में अधिष्ठाता कमरुनाग देवता के मंदिर में भाई बहन का दिव्य मिलन देख हजारों देवलु भावुक हो उठे। माता का रथ जैसे ही पवित्र झील के पास पहुंचा तो रथ की अगवानी करने देव कमरुनाग के देवलु और कारदार रथ के पास पहुंचे और माता का रथ थाम कर कहुलियों को खुद बजाकर रथ को कमरुनाग मंदिर तक ले गए। जहां माता जालपा और बड़ा देव का दिव्य मिलन हुआ।
माता जालपा के रथ ने तीन बार देव कमरुनाग और अपने बड़े भाई के मंदिर में माथा टेका। जिसके बाद माता देव कमरुनाग मंदिर में देवता की मूर्ति के पास विराजमान हुई। रविवार सुबह माता जालपा देवलुओं के साथ अपने भंडार (कोठी) फनगयार से ढोल, नगाड़ों, करनाल रणसिंघो और कहुलियों कि मधुर ध्वनि के साथ कमरुनाग मंदिर रवाना हुई।
माता जैसे ही सजिह्निधार पहुंची मूसलाधार बारिश ने माता के रथ के साथ देवलुओं को जमकर भिगोया। कारदारों लीला प्रकाश, डोले राम, केशव राम, लाल राम, मुरारी लाल और शेर सिंह ने बताया कि देव कमरुनाग और माता जालपा के दिव्य मिलन से देवलुओं उत्साहित है।