संजय पराशर ने बदल दी डाडासीबा पुलिस चौकी के भवन की दिशा व दशा

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

सामाजिक सरोकारों की नई गाथा लिख रहे कैप्टन संजय ने डाडासीबा पुलिस चौकी की दिशा व दशा भी बदल दी है। पराशर ने अपने संसाधनों से करीब दो लाख रूपए की राशि खर्च करके इस भवन का जीर्णोद्धार कर दिया है। पुलिस चौकी की दूसरी मंजिल तैयार होने के बाद जहां स्टाफ को काम करने की ज्यादा जगह मिलेगी। वहीं, चौकी में अपने कार्यों के लिए आने वाली जनता को भी सुविधा मिलेगी। कैप्टन संजय ने इससे पहले पुलिस चौकी को एक कंप्यूटर भी दिया था। दरअसल डाडासीबा की पुलिस चौकी की हालत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गई थी। हालात ऐसे बन गए थे कि भवन की छत खराब होने के बाद बारिश का पानी कमरों की भीतर टपकता था और इससे पुलिस कर्मियों के साथ आम पब्लिक को भी परेशानी पेश आती थी।

स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने इस बारे में कैप्टन संजय से बात की, तो उन्होंने चौकी की हालत खुद जाकर देखी। पराशर को लगा कि भवन का जीर्णोद्धार बेहद आवश्यक है। उसके बाद संजय ने भवन के ऊपर छत डालने कर निर्णय लिया। संजय के प्रयासों के चलते दूसरी मंजिल पर शेड पड़ने के बाद बरसात के मौसम में चौकी के भीतर पानी नहीं गया। अब दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य होने से दो कमरों की जगह और निकल आई है, जहां स्टाफ बैठ सकता है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और कुछ दिन बाद स्थानीय लोगों के साथ पुलिस स्टाफ को भी सहूलियत मिलने वाली है। चौकी प्रभारी के आग्रह पर कुछ महीने पूर्व पराशर ने 75 हजार रूपए की कीमत का कंप्यूटर सिस्टम भी खरीद कर दिया था। ज्ञात रहे पराशर क्षेत्र के विकास में लगातर सहयोग कर रहे हैं।

इससे पहले वह क्षेत्र के खेल मैदानों, आंगनबाड़ी केंद्राें और संपर्क मार्गों की हालत सुधारने के लिए लाखों रूपए खर्च कर चुके हैं, तो रक्कड़ अस्पताल में भी खुद के खर्च से शेड व बरामदे का निर्माण करवाया था। स्थानीय पंचायत उपप्रधान परमेश्वरी दास ने बताया कि संजय पराशर जसवां-परागपुर क्षेत्र सहित आसपास के विधानसभा क्षेत्रों में समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं, तो अपने संसाधनों से विकास कार्यों को भी गति दे रहे हैं।

कहा कि डाडासीबा पुलिस चौकी का जीर्णोद्धार करके सही मायनों में क्षेत्रवासियों को एक बड़ा तोहफा प्रदान किया है। वहीं, कैप्टन संजय का कहना था कि ऐसे मामले सीधे जनहित से जुड़े होते हैं। अगर पुलिस चौकी में सुविधाएं बढ़ती हैं, तो इसका फायदा आमजनमानस को ही होता है। उनका प्रयास रहता है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों और क्षेत्र की जनता को साथ लेकर ऐसे कार्य करवाए जाएं। भविष्य में अगर कोई इस तरह का आग्रह करता है, तो बिना देरी किए वह इन कार्यों को अमलीजामा पहनाएंगे।