यूनियन ने एसडीएम के माध्यम से पीएम व सीएम काे भेजा ज्ञापन

जतिन लटावा। जोगिंद्रनगर

आल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ एवं हैल्पर्ज़ यूनियन (संबंधित सीटू) के आह्वान पर आज सीटू से संबंधित यूनियन की द्रंग व चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटियों ने एक दिन की हड़ताल की तथा आंगनबाड़ी केंद्र बंद रखे। इस अवसर पर जोगिंद्रनगर में रामलीला मैदान से एसडीएम कार्यालय तक किसानसभा के राज्य उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज, यूनियन की चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटी की प्रधान सपना ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष तमन्ना द्रंग प्रोजेक्ट कमेटी की उपाध्यक्ष बिंता ठाकुर के नेतृत्व में एसडीएम कार्यालय तक जलूस निकाल कर जोरदार प्रदर्शन भी किया, जिसमें चौंतड़ा प्रोजेक्ट के कई सर्किलों तथा द्रंग प्रोजेक्ट के भराडू व गुम्मा सर्किलों की सैकड़ों वर्कर्ज़ व हैल्पर्ज़ ने भाग लिया।

इसके अलावा द्रंग प्रोजेक्ट के अधिकांश सर्किलों की कई वर्कर्ज़ व हेल्पर्ज ने आज पद्धर में आयोजित प्रदर्शन में भी भाग लिया। इस अवसर पर यूनियन ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को एसडीएम के माध्यम से ज्ञापन भी सौंपे। एसडीएम कार्यालय के बाहर हुए प्रदर्शन के दौरान कुशाल भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार निरंतर मजदूर विरोधी नीतियां अपना रही है तथा 44 श्रम क़ानूनों को खत्म कर 4 श्रम सहिनताएं भी इसी उद्देश्य से लाई गई हैं।

देश भर में और हमारे प्रदेश में भी स्कीम वर्करों का शोषण हो रहा है तथा सभी प्रकार की स्कीम वर्करों से तरह-तरह के काम लेने के बावजूद बहुत कम मानदेय उनको दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश जी जयराम ठाकुर सरकार द्वारा आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ एवं हैल्पर्ज़ की मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफ़ारिशों को लागू नहीं किया जा रहा है। इन सिफ़ारिशों को जल्दी लागू किया जाए। वर्ष 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफ़ारिश के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित किया जाए।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 के आईसीडीएस बजट में की गई 30 प्रतिशत कटौती भी इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि भाजपा सरकार आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ व हेल्परज़ की मांगों को पूरा करने बारे गंभीर नहीं है। हिमाचल प्रदेश में वेदांता कंपनी व नंदघरों के माध्यम से आईसीडीएस एवं आंगनबाड़ी के निजीकरण की कोशिश की जा रही है, जिसके खिलाफ व्यापक एकता बनाकर संघर्ष करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को वापस लिया जाए। क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आईसीडीएस विरोधी भी है। कुशाल भारद्वाज ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ जब रखी गई थी, तो उन्हें मात्र 150 से 300 रूपए मानदेय मिलता था।

आज यह मानदेय साढ़े सात हजार रूपए मासिक तक पहुंचा है, तो यह भी सीटू से अंबन्धित यूनियन के बैनर तले संगठित होकर हजारों वर्करों व हैल्परों के अनवरत संघर्षों के चलते ही संभव हुआ है, लेकिन आज के दौरा में यह मानदेय नाकाफी है और कम से कम 21000 रूपए मासिक मानदेय मिलना चाहिए तथा जब तक 21000 रूपए मासिक मानदेय नहीं मिलता है, तब तक हरियाणा की तर्ज पर आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ व हैल्पर्ज़ को मानदेय दिया जाए। हरियाणा की तर्ज पर ही आंगनबाड़ी वरकर्ज़ व हैल्परज़ का वेतनमान उनके सेवाकाल के हिसाब से तय किया जाए। इसके अलावा आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हज़ार रूपए पेंशन, दो लाख रूपए ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा दी जाए। मिनी आंगनबाड़ी केंद्राें में कार्यरत वर्कर्ज़ को अन्य अंगनबाड़ी वर्कर्ज़ के समान वेतन दिया जाए व इन्हें पूर्ण आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ का दर्जा दिया जाए।

इसके अलावा डिप्लोमा इन न्यूटरिशन एंड हैल्थ केयर के आधार पर एजुकेटर की पोस्ट हेतु आयु सीमा को हटाया जाए। इस अवसर पर सपना ठाकुर, तमन्ना व बिंता ठाकुर ने कहा कि केवल आंगनबाड़ी कर्मियों को ही प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त किया जाए। क्योंकि छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा का कार्य वर्तमान में आंगनबाड़ी कर्मी ही कर रहे हैं। प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा केवल आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ को ही इस लिए दिया जाए।

क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं और वे ही अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन (ईसीसीई) का संचालन कर रही हैं। इसलिए उनकी इन कक्षाओं में नियमित नियुक्ति की जाए तथा इसकी एवज में उनका वेतन बढ़ाया जाए। वर्कर्ज़ की नियुक्ति के लिए कोई आयु सीमा न राखी जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तत्काल पोषण ट्रैकर ऐप पर तथा डीबीटी योजना पर रोक लगाई जाए। आंगनबाड़ी कर्मियों की रिटायर्मेंट उम्र 65 वर्ष की जाए। आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हैल्थ मिशन के तहत किए गए कार्य की बकाया राशि का भुगतान तुरंत किया जाए।