क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की 118 वीं जयंती मनाई

एमसी शर्मा। नादौन
महान क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की 118 वीं जयंती नादौन के साहित्य सदन में धूमधाम से मनाई गई।राइटर्स क्लब नादौन, रिटायर्ड एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन एवं मुस्कान फाउंडेशन के तत्वधान के में आयोजित कार्यक्रम में साहित्य सदन के प्रांगण में स्थापित यशपाल जी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। इसके उपरांत उपस्थित वरिष्ठ नागरिकों ने यशपाल के जीवन पर प्रकाश डाला। विशेश्वर दत्त शर्मा, शिव कुमार डोगरा, रविंद्रपुरी, रविंदर कौशल, मुनीशतन्हा व सुदेश शर्मा आदि ने यशपाल के जीवन की सुनहरी यादों को ताजा किया। उल्लेखनीय है कि एक क्रांतिकारी युवा ने अपने लेखन से सबको प्रभावित किया।

यशपाल का जन्म 3 दिसंबर 1903 को नादौन के निकट धूम्पल के रंगाड गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल कांगडा, हरिद्वार तथा नेशनल कॉलेज लाहौर में हुई थी। उस समय स्वतंत्रता के दौर में वह आजादी की लड़ाई के तरीके से सहमत नहीं हुए और उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट आर्मी का दामन थाम लिया। अपनी काबिलियत के दम पर शीघ्र ही वह भगत सिंह, सुखदेव ,चंद्रशेखर आजाद, भगवती चरण और पंडित इंद्रपाल के साथ मिलकर संघर्ष करने लगे। 24 दिसंबर 1929 को यशपाल और भगवती चरण ने उस ट्रेन पर बम फेंका जिसमें वायसराय लॉर्ड डरविन सफर कर रहा था। मुठभेड़ के बाद यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 14 वर्ष के कठोर कारावास में भेज दिया गया। 1938 में जेल से छूटने के बाद यशपाल ने बुलेट के बदले बुलेटिन की शुरुआत की और क्रांतिकारी इतिहास की दिशा में अग्रसर हुए।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए यशपाल को 1970 में पदम भूषण अलंकृत किया गया। 26 दिसंबर 1976 को यशपाल का निधन हो गया।