अख़बार की रद्दी से अफ्रीकन डॉल बनाती हैं रितु भाटिया, सरस मेले में किया जा रहा है विक्रय

आशीष राणा। धर्मशाला

धागे से बुनी गई चीजें और अखबार से अनेक प्रकार की चीजें निपुण नारियां स्वयं सहायता समूह ने बनाई है। वहीं, अखबार का सही प्रयोग करते हुए अखबार की गुड़िया बनाई गई है, जिसका नाम अफ्रीकन डॉल रखा गया है। वहीं, रितु भाटिया जो आर्ट गैलरी पालमपुर की पर्यटक सलाहकार है। उन्होंने बताया कि यह डॉल बनाने का सुझाव सरगुन ने दिया जो पालमपुर से हैं और वह वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं। एक दिन में तीन से चार डॉल बनाई जाती है और इसे खराब रद्दी से बनाया जाता है।

अखबार को रोल करके गोंद से जोड़कर उस पर कलर करके इस डॉल को तैयार किया जाता है। यह आर्ट गैलरी में रखी गई है पर्यटक जब आर्ट गैलरी आते हैं तो वह अफ्रीकन डॉल को भी खरीदते हैं। यह डॉल करीब ₹200 से 350 रुपए तक है। आर्ट गैलरी और हिमाचल में जहां जहां पर प्रदर्शनी लगते हैं। वहां पर इस डॉल की बिक्री होती है। लगभग 2 साल से इस कार्य को किया जा रहा है। लॉक डाउन के चलते इस कार्य को शुरू किया गया था। साथ ही उन्होंने बताया कि हम लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं ताकि वह चीजों का अच्छे से उपयोग करें किसी चीज को व्यर्थ ना जाने दे।