भारत के स्वर्णिम भविष्य में युवाओं की भूमिका होगी निर्णायक: कैप्टन संजय पराशर

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि ग्रामीण परिवेश में आज भी शिक्षा व रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं और इन क्षेत्रों में धरातल पर कार्य करने की आवश्यकता है। बेशक कोरोनाकाल के बाद हालात और भी प्रतिकूल हो गए हैं। ऑनलाइन शिक्षा के कारण विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर पर नकारात्मक असर पड़ा है तो कई युवाओं को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में उनका प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिणिक माहौल को बेहतर किया जाए तो जसवां-परागपुर क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना भी उनकी प्राथमिकता में शामिल है।

क्षेत्र की नंगल चौक पंचायत में शिक्षा व रोजगार विषय पर आयोजित कार्यक्रम में अभिभावकाें से संवाद करते हुए कहा कि भारत के भविष्य को स्वर्णिम बनाने में वर्तमान युवाओं की भूमिका निणार्यक साबित रहने वाली है। ऐसा इसलिए है कि आज हमारे पास सबसे ज्यादा युवा शक्ति है। लेकिन सच यह भी है कि इस सुनहरे मौके का फायदा उठाने के लिए विजन व सकारात्मक सोच की आवश्यकता है।

सही मायनों में युवा ही देश का असली भविष्य हैं। इस लिहाज से उनका संपूर्ण विकास हर क्षेत्र के लिए मायने रखता है। आधुनिक होते माहौल और ऑनलाइन शिक्षा के बाद विद्यार्थियों को अब संस्कार देना बेहद जरूरी हो गया है। ऐसा इसलिए है कि नैतिकता व संस्कारों के बल पर ही युवा किसी भी क्षेत्र में मंजिल को पा सकते हैं। इसके साथ युवाओं को किसी भी क्षेत्र में खुद को अव्व्ल साबित करने के लिए शिक्षकों व अभिभावकों को भी प्रेरित करते रहना होगा। ग्लाेबल होते जा रहे संसार में किसी भी प्रतियोगिता के लिए युवाओं को मानसिक रूप से तैयार करना होगा।

विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों की कंप्यूटर ज्ञान व अंग्रेजी विषय कमजोर कड़ी रहे हैं और अब भी इसमें सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है। बड़े शहरों में गला काट प्रतिस्पर्धा के चलते ऐसे अधिकांश बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में टिक नहीं पाते, ऐसे में उन्हें लग्न व कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने खुद स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मुहिम शुरू की है और पिछले वर्ष पांच सौ युवाओं को नौकरी प्रदान की है तो इस साल का रोजगार देने का लक्ष्य एक हजार रखा है।

इसके अलावा देश की मेरीटाइम कंपनियों से भी यहां अपने कार्यालय खोलने का आग्रह किया गया है। आगामी समय में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे, बावजूद विडम्बना यह भी है कि प्रोफेशनल कंपनी में कार्य करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए उन्होंने ग्यारह स्थानों पर कंप्यूटर और इंग्लिश लर्निग सेंटर खोले हैं। इन केद्रों में विद्यार्थी निशुल्क कोचिंग भी प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के हालात सामान्य होने के बाद उनके द्वारा शिक्षण संस्थानों में कैरियर गाइडेंस शिविर लगाने की भी योजना है। इस मौके पर संजय की पत्नी सोनिका पराशर ने कहा कि उनकी टीम मर्चेंट नेवी में युवतियों को रोगजार दिलाने के लिए प्रयासरत है और इस वर्ष क्षेत्र की युवितयों को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक मौके दिए जाएंगे।