प्रदेश में हर गांव के लिए बसों के रूटीन रूट हों बहाल : राणा

उज्जवल हिमाजल ब्यूराे। हमीरपुर

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि घाटे के हवाला देकर सरकार जन सुविधाओं को बंद नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि मंहगाई व महामारी के दौर में सरकार ने घाटे की बात करके ग्रामीण क्षेत्रों के कई बस रूटों को बंद किया है, जिससे आम आदमी की मुश्किलें बढ़ी हैं। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बसें चलाई भी गई हैं। वह दो दिन आती हैं और तीन दिन बंद रहती हैं। कोविड काल में अनेकों रूट पहले ही बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में आम आदमी को भरोसा ही नहीं हैं कि बसें आएंगी भी कि नहीं आएंगी। दूसरी मुश्किल यह है कि आम आदमी व दिहाड़ीदार मजदूर वर्ग रोज टैक्सी से सफर कर नहीं सकता है, जिस कारण से वह अपनी दिहाड़ी मजदूरी पर भी नहीं जा पा रहा है। सरकार आम आदमी की समस्या समझे और तमाम बंद हुए रूटों को बहाल करे।

पहले से सरकार के फैसलों से परेशान लोग अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा को लेकर परेशान हो रहे हैं और इसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति पर पड़ा है। राणा ने कहा कि बात आम जनता को सुविधा देने की हो या इस कठिन दौर में राहत देने की हो। सरकार पूरी तरह फेल और फ्लॉप हुई है या यह कहना भी गलत नहीं होगा कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं दिख रही है। राणा ने कहा कि शाम को फैसला लेकर सुबह मुकरने वाली सरकार का अब जनता को कोई भरोसा नहीं रहा है। जहां तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सवाल है तो यह नागरिकों का मूलभूत अधिकार है और सरकार का दायित्व है, लेकिन सरकार ऐसे रिएक्ट कर रही है कि मानो वह सरकार न हो कर कोई प्रॉफिट मेकिंग कंपनी है।

राणा ने कहा कि सरकार यह न भूले कि यह टैक्स पेयर का पैसा है, जिसके प्रबंधन का दायित्व सरकार को दिया गया है। पब्लिक मनी पब्लिक के लिए है और पब्लिक हित में नफा और नुकसान नहीं देखा जाता है। बस में आम आदमी सफर करता है, जिसका जीना सरकार की गलत नीतियों के कारण निरंतर दुश्वार हो रहा है। मंहगाई और महामारी के कठिन दौर में प्रदेश सरकार ने पहले बस किराया बढ़ाया, फिर बिजली के दाम बढ़ाए, मंहगाई रोज सातवें आसमान पर पहुंच रही है और अब आम आदमी के लिए चलने वाली बस सर्विस को घाटे का रूट बताकर सरकार आम आदमी की इस सुविधा को भी छिनने के लिए आमादा हो चुकी है।

राणा ने कहा कि टैक्स पेयर का पैसा पब्लिक मनी है और पब्लिक मनी का प्रबंधन जनहित में होना जरूरी है। क्योंकि पब्लिक मनी पब्लिक के लिए है। पब्लिक खजाने को सरकार अपनी व्यक्तिगत जागीर न माने। जनहित में नफे नुकसान की बात को नजरअंदाज करके ग्रामीण क्षेत्रों में रूटीन की बसें चलाई जाएं। राणा ने कहा कि सरकार को अगर घाटे का इतना ही ध्यान है, तो जो उपक्रम सफेद हाथी साबित हो कर पब्लिक मनी को निगल रहे हैं उन्हें बंद करे न कि आम आदमी की बसें बंद करे।