विनय महाजन। नूरपुर
हिमाचल प्रदेश में शीतकालीन सत्र का दौर आजकल धर्मशाला में जोर-शोर से चल रहा हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफ़ी नोकझोंक जारी है। विपक्ष के पास एक ही मुद्दा विधानसभा में विपक्ष की बात को न मानने पर विपक्ष का बार-बार वाकआउट करना आदत बन गई है। सत्ता पक्ष भी विपक्ष की बात को सत्र में सुनने को तैयार नहीं रहता। इसलिए दोनों पक्षों का यह तालमेल जनहित में ठीक नहीं है। हिमाचल में जन हित में जिलों के गठन को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष आखिर चुप क्यों है। क्यों न बहस होती इस मद्दे पर। सत्ता पक्ष की तरफ से राकेश पठानिया वन मंत्री विधानसभा सत्र में विपक्ष का मुकाबला करने के लिए जयराम ठाकुर की सरकार के रथवाहक वनकर उनकी सुरक्षा घेरे को अन्य मंत्रियों के अलावा खुद ही मुख्यमंत्री का सुरक्षा का कबच पहने हुए खड़े हैं।
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धर्मशाला में कांग्रेस सरकार में वीरभद्र सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए नीचले क्षेत्रों के लिए धर्मशाला में यह शीतकालीन सत्र जनहित में आरंभ किया था, ताकि नीचले क्षेत्रों के लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके। इस दौरान सरकार हिमाचल प्रदेश के नीचले क्षेत्रों में लोगों के समक्ष जाकर हर विधानसभा क्षेत्र में उनकी समस्याओं का समाधान ही नहीं अपितु सरकार द्वारा चलाई गई जन नीतियों का भी जायजा लेती थी तथा विभागीय अधिकारियों को भी इस दौरान धरातल पर जाकर लाेगों की समस्याओं का समाधान मुख्यमंत्री के आने से पहले करना पड़ता था, लेकिन अव शीतकालीन सत्र केवल सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच एक पिकनिक सत्र बनकर रह गया है। भाजपा सरकार अभी तक इस शीतकालीन सत्र को शीतकालीन राजधानी में नहीं बदल सकी, जिससे सरकार छह महीने धर्मशाला में रहकर लोगों की समस्याओं का समाधान कर सके।
भाजपा रिपिट मिशन की बात करती है और विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस विधानसभा में उपचुनावों में जीत को लेकर सत्ता में आने का सपना बिना दुल्हे के देख रही हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार को एक फ्लाप सरकार की उपमा जनहित में देकर तीखे प्रहार जुवानी करने में पिछे नहीं है। आज तक विधानसभा सत्र में विपक्ष हिमाचल की वित्तीय स्थिति पर सत्ता पक्ष से जवाब तलबी नहीं कर सका, जब केंद्र में आपकी मजबूत सरकार है, तो फिर हिमाचल सरकार को बार-बार कर्ज क्यों लेने पड़ रहे हैं, जब पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमाचल की निवासी हो, जिसे हिमाचल की वित्तीय स्थिति का पता है। क्या सरकार ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से बात की, जबकि अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल भी हिमाचल प्रदेश के दो वार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आखिर दोनों पक्षों की इस विषय में चुप्पी का होना जनता की जुबान पर अनेक प्रश्न हिमाचल प्रदेश के विधायकों से कर रहा है।