मंडी में कल धूमधाम से मनाया जाएगा सायर उत्सव

Sair Utsav will be celebrated with great pomp in Mandi tomorrow
मायके से ससुराल लौटेंंगी नवविवाहिताएं

मंडीः मंडी जिला में सायर पर्व को लेकर इस बार लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। कोविड की वजह से लोग दो साल तक पर्व धूमधाम से नहीं मना पाए थे। 17 सितंबर यानी शनिवार को मनाए जाने वाले सायर पर्व को लेकर शुक्रवार को छोटी काशी में लोगों ने अखरोट सहित अन्य पूजन सामग्री की खरीददारी की।

इसके चलते मंडी में टनों के हिसाब से अखरोट की बिक्री हुई। सायर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सुबह सायर को पूजने के साथ राखियां कलाई से उतारी जाती है। इस दौरान अखरोट, धान, मक्की, खट्टा, पेठू व कोठा अन्य सामग्री की पूजा की जाती है।

ग्रामीणों ने छोटी काशी में पहुंचकर पूजा की सामग्री खरीदी। सायर उत्सव में अखरोट का विशेष महत्त्व रहता है। अखरोट के साथ खेलने के अलावा इसकी पूजा भी की जाती है। जिला के अलग-अलग स्थानों में यह उत्सव अलग -अलग तरीके से मनाया जाता है। सायर उत्सव के लिए बाजार में अखरोट भी पहुंच गए हैं।

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अखरोट के दाम 200 से लेकर 700 सैकड़ा है। अच्छी क्वालिटी का अखरोट 700 रुपये सैकड़ा बिक रहा है। बरसात का मौसम समाप्त होने, फसलों और मनुष्य को किसी तरह का जान माल का नुकसान न होने की खुशी में यह त्योहार को मनाया जाता है। सायर के दिन लोग एक दूसरे को द्रूब और अखरोट देते हैं। बच्चे मिलकर अखरोट का खेल खेलते हैं।

भादो यानी काले माह में अपने मायके गई नवविवाहिता आज ससुराल लौटेंगी। सास ससुर को सायर पर द्रूब देकर उनका आशीर्वाद लेंगी। किसान फसल की पूजा करके उसे शुभ कार्यों में लगने की भगवान से प्रार्थना करेंगे।

पहले आबादी बहुत कम थी, रिश्तेदार दूर- दूर रहते थे। बरसात अत्यधिक होने के कारण नदी-नाले उफान पर होते थे। आवाजाही के साधन न होने से एक-दूसरे से उनका संपर्क नहीं हो पाता था। बरसात खत्म होने पर लोग अपने-अपने रिश्तेदारों की खबर लेने और सुख-शांति के संदेश का आदान-प्रदान करने के लिए उन्हें दूब के साथ अखरोट देते थे, जो परंपरा आज भी निभाई जा रही है।

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