बेघर हो चुके परिवारों का आशियाना बनाने में जुटे संजय पराशर

हलेड़ और कूहना में दो परिवारों के मकान निर्माण में की सहायता

उज्ज्वल हिमाचल। रक्कड़

जब कोई गरीब परिवार प्राकृतिक आपदा के कारण सिर ढकने के लिए छत्त को खो देता है तो पारिवारिक सदस्यों की मानसिक स्थिति के बारे में सोच कर ही मन सिहर जाता है। इन हालात में कुछ देर समय के लिए आसरा तो लिया जा सकता है लेकिन भविष्य को लेकर चिंताएं वक्त बीतने के साथ गहरी होती चली जाती हैं। कुछ लोग व प्रतिनिधि भी विपदा की इस घड़ी में प्रभावित परिवारों के लिए संवदेना व सहानुभूति प्रकट करके हौसला देने का प्रयास करते हैं लेकिन मात्र दिलासा देने से ही सकंट से त्रस्त इन गरीब परिवारों का भला नहीं हो सकता।

इन परिवारों के साथ चट्टान की तरह खड़े होने वाले कंधों की जरूरत होती है जो नई छत्त के निर्माण में भी आगे आए। इसी तरह की नई कवायद शुरू करते हुए जसवां-प्रागपुर क्षेत्र के स्थानीय नेता कैप्टन संजय पराशर ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े उन परिवारों की मदद करने का निर्णय लिया है। जिनके मकान बरसात के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। अब प्रभावित परिवार कहीं ओर जगह पर अस्थायी ठिकाने में रहने को मजबूर हैं। संजय व उनकी टीम पिछले दस दिनों से इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के मकानों का जायजा लिया और ऐसे परिवारों से मिलकर दुख की घड़ी में ढांढस भी बंधाया।

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इन परिवारों के मकान निर्माण में आर्थिक मदद करने का भी बीड़ा उठाया है। हलेड़ पंचायत के बेरी गांव में इसी बरसात में राज कुमार का मकान ढह गया। राज कुमार व उनके परिवार के अन्य तीन सदस्य बेघर हो गए। प्रशासन की तरफ से पांच हजार रूपए की फौरी राहत भी मिली लेकिन इससे इस परिवार को कैसे छत्त मिल सकती थी। इस आपदा में परिवार का बड़ा सहारा संजय पराशर बने हैं और उन्होंने रविवार को गांव में पहुंचकर नए मकान के निर्माण की नींव डालकर शुभ मुहुर्त भी करवा दिया है। भवन निर्माण के लिए पराशर द्वारा सामग्री उपलब्ध करवाई गई है और संजय ने परिवार के मुखिया से यह वादा किया है कि मकान निर्माण में यथासंभव मदद की जाएगी।

इसी तरह पराशर ने कूहना पंचायत में विनोद के मकान निर्माण में भी आर्थिक मदद की है। इस परिवार का मकान भी बरसात में ढह गया था और वर्तमान में भी गौशाला में रहने को मजबूर हैं। वहीं हलेड़ के राज कुमार ने बताया कि पराशर उनके लिए मसीहा से कम नहीं है। उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि आगे का जीवन कैसे कटेगा लेकिन वक्त पर मदद करके पराशर ने उन पर जिंदगी भर का अहसान किया है और इसके लिए वह कैप्टन संजय के ताउम्र आभारी रहेंगे।

कूहना के विनोद ने बताया कि वह संजय के सामाजिक सरकारों के बारे में लंबे समय से सुनते आ रहे थे लेकिन जब संजय ने उन्हें सहारा दिया तो समझ आया कि क्योें संजय लोगों के दिलों में बसते हैं। उधर कैप्टन संजय का कहना था कि इन परिवारों को वर्तमान परिपेक्ष्य में सबसे ज्यादा मदद की जरूरत थी। उनसे जो बन पड़ा है वो किया है और आगे भी सहायता देने के लिए प्रयासरत रहेंगे। इसके अलावा जसवां-प्रागपुर क्षेत्र में यदि कहीं और भी जरूरत हुई तो प्रभावित परिवारों की मदद हर हाल में की जाएगी।

संवाददाताः शुभम शर्मा

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