रंग लाने लगे नारी सशक्तकीरण को लेकर संजय पराशर के प्रयास

एक लाख सैनिटरी पैड्स बांटने के लक्ष्य को संजय पराशर ने किया शत-प्रतिशत पूरा

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

नारी सशक्तीकरण की दिशा में कैप्टन संजय अहम व सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। सही मायनों में महिला सशक्तीकरण को लेकर कैप्टन संजय द्वारा किए जा रहे प्रयास रंग लाने लगे हैं। महिलाओं को समाज व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पराशर द्वारा शुरू किए 12 प्राेजेक्ट्स अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने लगे हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। जसवां-परागपुर क्षेत्र के दूरदराज के गांवों तक निशुल्क सैनिटरी पैड्स बांटने के उनके महाअभियान की चहुं ओर सराहना हो रही है और इस साल तक एक लाख सैनिटरी पैड्स बांटने के लक्ष्य को संजय की टीम शत.प्रतिशत पूर्ण कर कर चुकी है। दरअसल तमाम सामाजिक सरोकारोें के बीच संजय पराशर ने आधी दुनिया के उत्थान के लिए भी बड़ा विजन रखा है। चाहे बात चिंतपूर्णी कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं की निशुल्क फीस की हो या इसी कॉलेज के भवन केे जीर्णोद्धार का मामला हो, पराशर ने क्षेत्र के बेटियों के हित के लिए लाखों रूपए का अनुदान इस महाविद्यालय के लिए इसलिए दिया ताकि संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।

कोरोना की दूसरी लहर में चमेटी गांव की महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप की भी संजय ने खुलकर मदद की और उनके द्वारा बनाए गए प्राकृतिक उत्पाद खरीदकर कोरोना संक्रमित मरीजों में भी निशुल्क वितरित किए। इसके अलावा संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र में निशुल्क सैनिटरी पैड्स वितरित करने का भी महा अभियान चला रखा हैए जिसके अंर्तगत 74 गांवों में अब तक 101,201 सैनिटरी नैपकिन महिलाओं व किशोरियों में अब तक बांटे जा चुके हैं। वहींए पराशर द्वारा आयोजित चिकित्सा शिविरों में महिलाओं की ही ज्यादा उपस्थिति दर्ज होती रही है।अब तक कुल लगे सत्रह मेडकील कैंपों में आठ हजार से ज्यादा महिला लाभार्थी पहुंचीं। निराश्रित महिलाओं के लिए भी संजय पेंशन और उनके बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसी 124 महिलाओं व उनके बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा पराशर ने ऐसी निराश्रित महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के बाद मासिक पेंशन भी दे रहे हैं।

बड़ी बात यह भी है कि अब मर्चेंट नेवी में युवतियों की भर्ती हो, इसके लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। अगले वर्ष से मर्चेंट नेवी में युवतियों को रोजगार दिलावानें लिए कैप्टन संजय ने प्लान तैयार कर लिया है। पराशर का कहना है कि महिला सशक्तीकरण के बाद ही समाज व देश विकसित हो सकते हैं। बेशक महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर खुद को साबित किया हैए लेकिन अब भी कई रास्तों व मंजिलों के लिए सफर बाकि है। ग्रामीण क्षेत्रों में नारी सशक्तीकरण के लिए काफी काम करने की आवश्यकता है। कोरोनाकाल में हालात पहले से भी बदतर हुए हैं। उनका प्रयास है कि महिला सशक्तीकरण के लिए अधिक से अधिक कार्य किया जाए ताकि क्षेत्र की मातृशक्ति की जीवनशैली में भी सुधार देखने को मिले।