यह बताया मकसद
एसजीपीसी की ओर से प्रदेश के 50 गुरुद्वारों में पड़ी जमीन पर बनाए जंगल में फलदार, छायादार, दवादार एवं आलोप हो चुके प्रजाति वृक्षों के पौधे लगाए जा रहे हैं। जिसका मुख्य मकसद प्रदेश को बीमारियों से मुक्त करना, शुद्ध वातावर्ण पैदा करना, बारिश की कमी को दूर करना होगा। बताया गया है कि पंजाब में बहुत से वृक्षों की ऐसी प्रजातियां हैं जो नजरन्दाजी के चलते आलोप हो चुकी हैं, ज्यादातर लोगों को तो क्या संबंधित विभाग के अधिकारियों तक को उनके नाम नहीं पता। यदि विभिन्न प्रजातियों के पौधे पुन: लाए जाएंगे तो उनसे हरियाली एवं शुद्ध वातावर्ण में तीव्र गति से प्रसार होगा। अनेकों नामुराद बीमारियों पर अंकुश लग सकेगा।
जंगल में होंगे विभिन्न प्रजातियों के जानवर भी
एसजीपीसी द्वारा निर्माणित होने वाले जंगलनुमा पार्कों में नाना प्रजातियों के पक्षियों, मोर, तीतर, बटेर, हिरण, सहित विभिन्न प्रजातियों के जानवरों को भी लाया जाएगा । जिससे जंगलों का लुत्फ लेने पहुंचने वाले लोगों, बच्चों को बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा।
सरकारों ने इंडस्ट्रीज के लिए खुद एक्वायर करवाई कृषियुक्त जमीनें
गुजरे वर्षों की बात करें तो पंजाब में ही नहीं देशभर की सरकारों ने वोटबैंक की खातिर कृषियुक्त जमीनों को इंडस्ट्रीज तथा चार मार्गीय (फोर-लेन) व छ: मार्गीय (सिक्स-लेन) के लिए एक्वायर करवाया। किसानों की चीखें किसी राजनेता को सुनाई नहीं दी। बात यहीं ही खत्म नहीं सडक़ों के किनारे लगे वर्षों पुराने करोड़ों हरे-भरे वृक्षों का कत्ल कर दिया गया। पहले सडक़ों के किनारे खड़े वृक्ष बेच कर मोटी कमाई की, फिर हर 40-60 किलोमीटर पर टोल प्लाजे बनवा लोगों की जेबों से हर दिन अरर्बों-खर्बों रुपए बटोरने शुरु कर दिए। जैसे पंजाब में अकाली दल के शासनकाल में बनाई गई चंडीगढ़-बठिंडा फोरलेन का सबसे ज्यादा फायदा राजनेताओं को हुआ उसी तरह जहां कहीं स्टेट हाईवे एवं नेश्नल हाईवे बने हैं उन सडक़ों का सबसे अधिक फायदा राजनेताओं के घूमते वाहनों को ही हुआ है।
समाजसेवी प्रयासों की भी होती आ रही है हत्या
गौरतलब हो कि देशभर में लाखों की संख्या में समाजसेवी एवं वातावर्ण प्रेमी संस्थाएं हैं, जो हर साल सडक़ों के किनारे पौधारोपण करती आ रही हैं। जिनके प्रयास से करोड़ों की संख्या में आज भी विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष खड़े हैं जो मजबूत स्थिती में हैं, लेकिन लाखों ऐसे भी वृक्ष हैं जो वोटबैंक वाले विकास की भेंट भी चढ़ चुके हैं।