शिमलाः पहाड़ों की रानी की गोद में बसा ये हनुमान मंदिर, जिसमें जुड़ी है विदेश के लोगों की आस्था

उज्ज्वल हिमाचल। शिमला

हिमाचल प्रदेश में अनेकों ऐसे मंदिर है जिनमे प्रदेश के साथ विदेश के लोगों की भी आस्था जुड़ी होती है। हम आपको शिमला की खूबसूरत वादियों की गोद में बसे हनुमान मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जहां हर साल लाखों श्रद्दालु माथा टेकने पहुंचते हैं। हनुमान जी का मंदिर के पुजारी बीपी शर्मा बताते हैं कि मान्यता है कि श्रीराम-रावण के युद्ध में लक्ष्मण जी के मूर्छित होने पर जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे जब उन्होंने यहा विश्राम किया था और तभी उनकी नजर यहां पर तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी थी।

जिन्होंने हनुमान जी को संजीवनी बूटी की जानकारी दी थी। जिसके बाद इस जगह का नाम पहले यक्ष फिर याक, याक से याकू और याकू से जाखू तक बदला गया। जहां हनुमान जी विश्राम करने के लिए रूके थे वहां पर उनके कदमों के निशान आज भी है और इसी जगह के पास ये मंदिर बनाया गया है। मंदिर में मंगलवार और रविवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है।

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जाखू मंदिर शिमला में कई वर्षों से सेवा कर रहे हेमराज शर्मा बताते हैं कि वह कई वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे हैं। मंदिर में सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ जुटी रहती हैं। यहां आकर मन को विशेष शांति मिलती हैं। वन्ही बाहरी राज्यों से शिमला आए श्रद्धालुओं का कहना है कि जाखू मंदिर में उनकी विशेष आस्था हैं। यहां आकर मन को शांति मिलती है।जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक 108 फीट उंची मूर्ति को स्थापित किया गया है। जो देश की सबसे उंची मूर्तियों में से एक है। शिमला के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देती है।

ब्यूरो रिपोर्ट शिमला

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