खबली की शोभा देवी खुद भी बनी स्वावलंबी, औरों के लिए भी बनी प्रेरणा

सब्जी उगाकर हर सीजन कमा रही हजारों, पशुओं के लिए उगाया विशेष घास

उज्जवल हिमाचल। देहरा

महिलाएं घर की चारदिवारी में ही अब कैद होकर नहीं रह गई हैं। चूल्हा चौका तक ही सीमित नहीं हैं, उनकी उड़ान लंबी होती जा रही है। इसे हम हौंसलों की उड़ान भी कह सकते हैं, जब हौंसले बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल भी छोटी दिखने लगती है। एक शायर ने भी तो कहा है…’कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’…। जी हां हम आपको एक ऐसी महिला के बारे बताने जा रहे हैं, जो ना केवल आय के साधन अर्जित कर स्वावलंबी बनी, बल्कि दूसरों को भी राह दिखा रही हैं। यह महिला प्राकृतिक खेती से सब्जी आदि उगाकर लोगों की सेहत का ख्याल तो रख ही रहीं हैं।

वहीं, पशुओं की सेहत के लिए भी कार्य कर रही हैं। ये सब कर दिखाया हिमाचल के जिला कांगड़ा के देहरा विकास खंड के अंतर्गत गांव खबली की शोभा देवी ने। घर की चारदिवारी से बाहर निकलकर कुछ करने का जज्बा शोभा देवी में वर्ष 2008 में आया। हुआ कुछ ऐसा कि 2008 में सवेरा संस्थान रैन्खा ज्वालामुखी के कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार व सुभाष चौहान गांव खबली किसी कार्यक्रम के लिए गए। वहां पर शोभा देवी पत्नी जोगिंदर सिंह से मुलाकात हुई। संस्थान द्वारा गांव पाइसा व मरेढ़ा गांव में श्रीधान विधि (SRI) की योजना शुरू की गई थी, जिसमें लगभग 50 किसानों को श्रीधान विधि का प्रशिक्षण दिया गया।

शोभा देवी ने भी यह प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेकर उन्होंने 50 किसानों को प्रैक्टिकल (Prectical) व मौखिक तौर पर खेतों में जाकर प्रशिक्षण दिया, जिससे धान की पैदावार में काफी बढ़ोतरी हुई। सवेरा संस्थान रैन्खा ज्वालामुखी के माध्यम से इन्हें सरकारी व स्वयं सेवी संस्थाओं में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। शोभा देवी ने दो पंचायतों खबली व पाइसा स्वयं सहायता समूहों का गठन भी किया व उन्हें बैंक के माध्यम से आवश्यकतानुसार ऋण भी उपलब्ध करवाया व उन्हें प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया।

शोभा देवी अपनी पंचायत में दो बार वार्ड सदस्य भी चुनी जा चुकी हैं। अपने वार्ड में बहुत विकास कार्य करवाए हैं। उन्होंने कृषि विभाग के माध्यम से विभिन्न-विभिन्न प्रशिक्षण भी लिए हैं। इसके बाद उद्यान विभाग देहरा के सहयोग से पॉली हाउस लगाया, जिसमें कई तरह की सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। शोभा देवी ने बताया कि पिछले सीजन में उन्होंने 15 हजार का धनिया व 35 हजार के टमाटर बिक्री किए थे। इस वर्ष आय तीन गुणा हो जाएगी। इसके साथ उन्होंने एक विशेष किस्म की घास का उत्पादन भी किया है।

यह अजोला किस्म का घास पानी के टैंक में उगाया जा रहा है। इसका बीज राजस्थान से लाया गया है, जो पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक है। सुभाष पालेकर विधि से जीवामृत खाद, घन अमृत खाद व बीजा अमृत खाद तैयार की जा रही है। शोभा देवी सवेरा संस्थान के साथ स्वयं सहायता समूहों के गठन का कार्य भी कर रही हैं, इनका उद्देश्य है कि सभी महिलाओं को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाए व उन्हें प्राकृतिक खेती करवा कर आत्मनिर्भर बनाया जाए।