नकली फूड इंस्पेक्टर बनकर ठग लिए दुकानदार

एस के शर्मा । हमीरपुर 
हमीरपुर जिले में फूड एवं सेफ्टी अधिकारी  बनकर फर्जी अधिकारी ने दुकानदारों से हजारों की राशि हड़प ली। भोरंज, लदरौर, पट्टा और तरकबाडी कि कई दुकानदारों ने इसकी सूचना विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर  और जिला स्तर पर तैनात एफएसओ को भी दी है। वैसे अभी तक इसकी लिखित शिकायत नहीं हुई है। जानकारी मिलते ही असिस्टेंट कमिश्नर ने इन क्षेत्रों में पहुंचकर दुकानदारों से जानकारी भी जुटाई है जिसमें दुकानदारों ने बताया है कि एक युवा उनके पास फूड सेफ्टी अधिकारी बनकर आया हुआ था और दुकानों पर चैकिंग करने के बाद प्रति दुकानदार  7 हजार तक की राशि भी साथ में ले गया। हालांकि फर्जी अधिकारी कौन है इसकी जानकारी दुकानदारों की ओर से अधिकारी को दी गई है लेकिन अभी यह साफ नहीं हो पा रहा है कि यह फर्जी युवा अधिकारी जो दुकानों पर चैकिंग कर रहा है वे कहां से है।
पिछले 1 सप्ताह से यह फर्जी अधिकारी लगातार दुकानों पर उस क्षेत्र में चैकिंग कर रहा है और दुकानदारों से मनमाने तरीके से पैसे भी ले रहा है। इस फर्जी अधिकारी को पैसे देने के बाद दुकानदारों ने इसकी सूचना फूड एवं सेफ्टी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर अरुण चौहान को वहां दौरे के दौरान दी तो विभाग के होश उड़ गए क्योंकि वहां किसी भी अधिकारी को अकेले चैकिंग के लिए विभाग की ओर से तैनात ही नहीं किया गया है। इसकी सूचना वैसे एस एस ओ महिला अधिकारी को हमीरपुर भी पहुंची है हालांकि अभी तक इस मामले की लिखित शिकायत ना होने पर मामला ना तो पुलिस में सौंपा गया है और ना ही निदेशालय को भेजा गया है लेकिन एक दिन पहले ही इस मामले की सूचना अधिकारियों के पास पहुंचने के बाद अभी दुकानदारों से जानकारी जुटाई जा रही है।
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि खाद्य सामग्री की दुकानों की चैकिंग का कार्यभार इस विभाग के पास है और बहुत सी दुकानों में नियमों की अवहेलना करने को लेकर पहले ही विभाग उन पर शिकंजा कसता रहा है लेकिन इस तरह जिले में भी फर्जी अधिकारी बनकर दुकानदारों से विभाग के नाम पर अधिकारी बनकर जो राशि उगाही की जा रही है यह मामला काफी गंभीर हो गया है।
इस मामले पर असिस्टेंट कमिश्नर अरुण कुमार चौहान का कहना है कि दुकानदारों की ओर से अभी लिखित शिकायत नहीं आई है लेकिन उन्होंने स्वयं जा कर दुकानदारों से जानकारी जुटाई है जिसमें यह बात भी सामने आई है कि इस फर्जी अधिकारी ने कई दुकानदारों से 7- 7 हजार तक की  राशि भी ली है। लिखित शिकायत पहुंचते ही निदेशालय को इस मामले से अवगत करवाया जाएगा और वहां से दिशा निर्देश मिलते ही पुलिस में भी मामला सौंपा जा सकता है।