भारत वर्ष में होमगार्ड के लिए लागू हो एक समान नियम : चौहड़िया

तलविंदर सिंह। बनीखेत

पिछले सात दशकों से होम गार्ड संगठन का जवान देश की आतंरिक व बाहरी सुरक्षा हेतु तैनात खड़ा है, लेकिन देश के किसी भी जनप्रतिनिधि ने अपनी शपथ व विधि द्वारा स्थापित भारत के अंतर्गत शुद्ध अंताकरण से न्याय नहीं किया यह बात ऑल इंडिया होमगार्ड कल्याण संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता जोगिंद्र सिंह चौहडिय़ा ने डलहौजी आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि होमगार्ड जवान 12 माह ड्यूटी की मांग व 58 वर्ष बाद पेंशन के हकदार नहीं बन पाए हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार द्वारा 1948 भारतीय संविधान के अनुच्छेद ध्यान में रखते हुए होमगार्ड संस्था का फैसला 60 वर्ष तक प्रतिदिन रोजगार देने के आदेश पारित किए हैं, जो आज सात दशकों बाद भी लागु नहीं हो
पाए हैं।

आखिर कब तक होम गार्ड जवानों को देश के संविधान से वंचित रखा जाएगा? उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है, जबकि स्वतंत्र भारत मेक इन इंडिया की बात करता है। उन्होंने कहा कि सन 1966 में भारत सरकार को सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार के अनुसार अंतराष्ट्रीय घोषणापत्र पर हस्तारक्षर किए हुए हैं कि भारत वर्ष में होमगार्ड के लिए एक समान नियम बनाया जाए जो भारत सरकार की मानव आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से अंकित है। एक देश, एक ध्वज के नीचे, देश का होम गार्ड जवान आखिर ऐसे संगठन के लिए देश में अलग-अलग नियम क्यूँ? लिहाजा वर्तमान में अभी तक राष्ट्रहित में योगदान देने वाले हर होम गार्ड के लिए कोई स्थाई नीति न होने के कारण होमगार्ड के परिवारों का भविष्य अंधकारमय है।

वहीं, होमगार्ड जवानों को सेवानिवृत होने पर खाली हाथ घर जाना पड़ता है। होम गार्ड जवानों को केंद्र व प्रदेश सरकारों से अब तक कोरे आश्वासन ही मिले हैं। उन्होंने बताया कि होम गार्ड जवान अभी तक सरकार की अनदेखी का दंश झेल रहे हैं, जिससे उनका मनोबल भी गिरता जा रहा है। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों से गुहार लगाई है, उनके लिए कोई ठोस निति बनाकर उनके साथ न्याय किया जाए।