कोविड के नाम पर जबरन वसूली कर रही प्रदेश सरकार : राणा

कोविड-19 पर मिली रिलीफ के दुरूपयोग की चर्चाओं ने पकड़ा जोर

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। हमीरपुर

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि निरंतर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार पर अब कोविड फंड के नाम पर जबरन वसूली के आरोप समाचारों की सुर्खियां बने हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा के जसूर के कुछ कारोबारियों से लॉकडाउन वन, टू और थ्री के दौरान प्रवेश परमिट को लेकर कोविड-19 फंड के नाम पर मोटी रकम वसूली गई है।

कोरोबारियों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा है कि जसूर के अधिकांश कारोबारियों के आवास पठानकोट में स्थित हैं, जहां से वह रोज अप-डाउन करते हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 की आड़ में एंट्री परमिटों को लेकर राजनीतिक शह पर मोटा चंदा वसूला गया है। अब मामला उजागर होने व मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल के बाद जबरन वसूली का धंधा कुछ हद तक रुका है।

उधर, इसी तरह के एक अन्य मामले में शिक्षा विभाग ने प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों को लिखित फरमान जारी किया है कि कोविड-19 रिलीफ के लिए पीएम व सीएम फंड में दी गई राशि का ब्यौरा दें। राणा ने कहा कि अब बीजेपी द्वारा वर्चुअल रैलियों के फरमान व बिहार में की गई वर्चुअल रैली, जिसमें 72 हजार एलईडी लगाए जाने की सूचना है। इस रैली के तामझाम पर अरबों रुपया फूंका गया है व प्रदेश में भी अब वर्चुअल रैलियों के नाम करोड़ों रुपए के खर्चे की तैयारी है।

ऐसे में अब कोविड-19 के नाम पर मिली रिलीफ को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राणा ने कहा कि वह इस मामले पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करने के लिए लगातार कहते आ रहे हैं, जिस पर अभी तक कोई जमीनी कार्रवाई नहीं हुई है। चूंकि रिलीफ में मिले फंड पर ऑडिट का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में बीजेपी द्वारा धड़ाधड़ करोड़ों रुपया रैलियों में खर्च करने से कोविड-19 के फंड के दुरूपयोग की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है।

उन्होंने कहा कि मात्र 6 वर्षाें में दुनिया की सबसे रईस हो चुकी बीजेपी पर अब यह आरोप भी चस्पां हैं कि आर्थिक संकट में फंसे देश और प्रदेश की जनता जो इस वक्त मदद का इंतजार कर रही है। उन्हें मद्द देने में सरकार नाकाम रही है, लेकिन बीजेपी व्यक्तिगत एजेंडे को तरजीह देते हुए रैलियों पर करोड़ों रुपए फूंक रही है।

राणा ने कहा कि संकट के इस दौर में इस अनावश्यक करोड़ों के खर्चे से जहां रिलीफ फंड के दुरूपयोग की आशंका चर्चा में है, वहीं प्रदेश में कोविड के नाम पर की गई जबरन उगाही ने प्रदेश की राजनीतिक छवि को दागदार किया है। क्योंकि जबरन उगाही का यह सियासी रिवाज का कम से कम अभी तक हिमाचल प्रदेश में प्रचलन में नहीं था और अगर सच में ऐसा हुआ है, तो बीजेपी एक नए सियासी भ्रष्टाचार के आरोपों के कटघरे में है।