कोरोना संकट में राज्याें को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ाें की घाेषणा : अनुराग

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

हिमाचल प्रदेश, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी के मई महीने की किश्त के तौर 46038.70 रुपए जारी करने की जानकारी देते हुए इस फंड से राज्यों को कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ छिड़ी जंग में आर्थिक मज़बूती मिलने की बात कही है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 367.84 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, जिससे राज्य को कोरोना के ख़िलाफ़ छिड़ी इस जंग में आर्थिक मज़बूती मिलेगी।

आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार इस कोरोना संकट के समय, राज्यों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 15000 करोड़ रुपए की राशि की घोषणा कर चुकी है, जिसमें से राज्यों को 4113 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। आवश्यक सेवाओं के लिए 3750 करोड़ रुपए, टेस्टिंग लैब और किट्स के लिए 550 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को जारी की जा चुकी है। पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी से युद्ध लड़ रहा है व अपने नागरिकों की सुरक्षा व उनके जनजीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।

भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी एकजुटता के साथ कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है। इस आपदा से आमजनमानस को राहत देने के के लिए मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज व आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से 20 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा की आर्थिक सहायता दी है। संघीय ढांचे में राज्यों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए केंद्र सरकार इस संकट के समय में हरसंभव सहायता व आर्थिक ज़िम्मेदारियों का पूर्णतः निर्वहन कर रही है।

केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी के मई महीने की किश्त के तौर 46038.70 रुपए जारी कर दिए गए हैं । 10,000 हजार करोड़ रूपए की सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना से किसानों को मिलेगा बल। अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,000 हजार करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना को स्वीकृति दे दी है।

इस व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा। इस मंजूरी से अन्नदाता का सशक्तिकरण होगा व उनकी आय में बढ़ोत्तरी के नए द्वार खुलेंगे। किसानों को उनकी फसल का सही भाव दिलाने के लिए हमने एपीएमसी एक्ट के अंतर्गत एक केंद्रीय कानून बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस कानून के आने के बाद कोई भी किसान अपनी फसल मंडियों के बाहर भी बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।

इस तरह से किसानों के पास अपनी फसल को बेचने के कई विकल्प मिल जाएंगे। सरकार के इस कदम से मंडी व्यापारियों की मनमानी पर अंकुश लगने के साथ साथ बिचौलिये भी खत्म होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दाेगुनी करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें ये सुधार मील का पत्थर साबित होंगे। मोदी सरकार की नीतियां लोकल प्रोडक्ट्स में वैल्यू एड करके उसका ज़्यादा से ज़्यादा निर्यात बढ़ाने की दिशा में हैं। हम आयात घटाकर व निर्यात बढ़ाकर देश व देश के अन्नदाता को आत्मनिर्भर बनाएंगे।