कोरोना संकट में सहकार ने किया उद्धार, मदद से दिहाड़ीदार मजदूर का बेटा सेना में हुआ भर्ती

डढवाड़ा निवासी संतोष देवी स्वां वुमन फेडरेशन के स्वयं सहायता समूह की हैं सचिव

उज्जवल हिमाचल। ऊना

कोरोना संकट में सहकार मददगार बन रहा है। लोगों की छोटी-छोटी बचत जरूरतमंदों के लिए मददगार सिद्ध हो रही है। जिला ऊना की डढवाड़ा निवासी संतोष कुमारी ने बेटे को फौज में भर्ती कराने का सपना सहकार की मदद से ही पूरा किया। संतोष के पति ओम प्रकाश दिहाड़ीदार हैं। परिवार तंगहाल और आय का बड़ा साधन भी नहीं है, लेकिन सहकारिता से जुड़ कर संतोष के परिवार को नव जीवन मिल गया। संतोष कुमारी बताती हैं कि मैं स्वां वुमन फेडरेशन से जुड़ी हुई हैं और एक स्वयं सहायता समूह की सचिव भी हूं। मेरा बेटा रोहित कुमार फौज में भर्ती होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दो बार असफल रहा। इसलिए स्वां वुमन फेडरेशन से 10 हजार रुपए का ऋण लिया, जिसकी मदद से बेटे को आर्मी में भर्ती की दो माह की कोचिंग कराई। कोचिंग की मदद से बेटा रोहित फौज में भर्ती हो गया। पूरा परिवार रोहित की सफलता से खुश है और अगर ऋण नहीं मिलता तो यह सपना अधूरा ही रहता।

बेटे की कोचिंग के लिए लिया 10 हजार रुपए का ऋण

स्वां वुमन फेडरेशन की मदद से बेटा फौज में भर्ती हो गया है तथा अब उत्तर प्रदेश में सेना का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। रोहित के पिता ओम प्रकाश भी बेटे की सफलता से फूले नहीं समाते हैं।
220 करोड़ रुपए के स्वां नदी एकीकृत जलागम प्रबंधन परियोजना के बंद होने पर इस परियोजना से जुड़ी गतिविधियों को स्वां वूमन फेडरेशन आगे बढ़ा रही है। फेडरेशन ने सैंकड़ों सहायता समूहों को जोडक़र विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए हैं, जिनमें हल्दी, धनिया, लाल मिर्च और गर्म मसाला का पाउडर, आचार के साथ-साथ त्रिफला चूर्ण भी शामिल है। स्वां वुमन फेडरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज कुमार डोगरा बताते हैं आज संस्था के जिला ऊना की 84 ग्राम पंचायतों में 804 स्वयं सहायता समूह हैं। इन सभी स्वयं सहायता समूहों के लगभग 10 हजार महिला सदस्यों की लघु बचत व लघु ऋण योजनाओं के साथ जोडऩे के लिए स्वां वुमन सहकारी सभा का भी गठन किया गया है। जिसमें आज लगभग 16 करोड़ छोटी बचत के रूप में जमा हैं। स्वां वुमन सहकारी सभा की अध्यक्षा राज कुमारी ने बताया कि सहकारी सभा के माध्यम से लगभग 4 करोड़ रुपए का ऋण महिला सदस्यों को वितरित किया जा चुका है। जिससे यह महिलाएं ऋण से प्राप्त धनराशि को अपनी आजीविका के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई व मकान बनाने जैसे कार्यों में इस्तेमाल करती हैं।


स्वां वुमन फेडरेशन के सलाहकार राजेश शर्मा ने बताया कि जायका के स्वां वॉटरशैड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को स्वां वुमन फेडरेशन आगे बढ़ा रही है। साथ ही स्थानीय उत्पादों का प्रसंस्करण तथा विपणन भी किया जा रहा है, जिनमें हल्दी, गर्म मसाला, लाल मिर्च तथा धनिया पाउडर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में संस्था ने 1.50 करोड़ रुपए से अधिक के मसाले बेचे हैं। अब पीडीएस सप्लाई के लिए भी स्वां वुमन फेडरेशन को ऑर्डर मिल रहे हैं, जिन्हें हम हिमाचल प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा व चंबा सहित अन्य जिलों को भेज रहे हैं। जिला ऊना के पंजावर गांव को ही सहकारिता की जननी कहा जाता है, जहां भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत देश की पहली सहकार सभा का गठन हुआ था। देश में सहकारिता का अधिनियम 1904 में अस्तित्व में आया, लेकिन सही मायनों में सहकारिता की मशाल ऊना जिला के पंजावर में ही जली और कारवां निरंतर आगे बढ़ता गया। सहायक पंजीयक, सहकारी सभाएं ऊना रत्न बेदी कहते हैं “जिला में आज 377 सहकारी संभाएं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। सहकारी सभाओं के माध्यम से आज जिला ऊना में कुल 22.44 अरब रुपए की कार्यशील पूंजी है।