हिंदुओं की आस्था पर बिना परमिशन चली कुल्हाड़ी, वन विभाग ने नाम मात्र किया जुर्माना

चैन गुलेरिया। जवाली
उपमंडल जवाली के अधीन ग्राम पंचायत मतलाहड़ के गांव जैसर में ठेकेदार द्वारा जनता की आस्था व श्रद्धा के प्रतीक पीपल के पेड़ों को काटने का मामला प्रकाश में आया है। रमेश चंद, विजय कुमार, अशोक कुमार निवासी सोहड़ा ने बताया कि एक ठेकेदार द्वारा पीपल के तीन पेड़ों को काटा गया है जबकि पीपल व बटवृक्ष के पेड़ को काटना प्रतिबंधित है। गांववासियों ने कहा कि पीपल के पेड़ों को काटने से पीपल में आस्था रखने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, वहीं ठेकेदार की मनमानी भी देखने को मिली है। आखिरकार किसकी अनुमति से पीपल के पेड़ों को काटा गया है और किसने इन पीपल के पेड़ों को कटवाया है।
गांववासियों ने कहा कि इसकी सूचना वन विभाग कार्यालय जवाली में दी गई थी लेकिन शाम तक कोई भी वन विभाग का अधिकारी या कर्मचारी मौका पर नहीं पहुंचा। वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने इस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया। ठेकेदार भी भनक लगते ही लेबर को लेकर मौका से रफू चक्कर हो गया। गांववासियों ने मांग की कि पीपल के पेड़ों को काटने वाले ठेकेदार सहित जिसकी जमीन से काटे गए हैं, के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए ताकि आने वाले समय में ऐसी घटना ही घटित न होने पाए। इसी के साथ लोगों ने वन मंत्री राकेश पठानिया से भी आग्रह किया है कि कोताही बरतने वाले वन विभाग जवाली के कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाए ।
जैसे ही इस बारे मीडिया को इसकी भनक लगी तो वह विभाग की नींद उड़ गई और जिनकी जमीन से पीपल के पेड़ काटे थे उन्हें तीन पेड़ों का मात्र 1500 रुपये जुर्माना काट कर अपना पल्ला झाड़ा। अब सवाल यह उठता है कि कानून नाम की कोई चीज न है केवल 500 रुपया जुर्माना भरो और काट दो प्रतिबंधित पेड़ को। लोगों का मानना है कि नाम मात्र जुर्माना डालने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वन विभाग की दबाव में है । बिना परमिशन से प्रतिबंधित पेड़ को काटना कानूनी अपराध है और कानूनी अपराध करने बाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई चाहिए। लेकिन वह विभाग ने एफआईआर दर्ज करवाने के बदले उन्हें 1500 रुपये जुर्माना काट के राहत दे दी। पीपल के पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते है और प्रदूषण को नष्ट करते है और साथ में हिन्दू धर्म में आस्था का भी प्रतीक माना जाता है। जब इस बारे बीओ जवाली संजय शर्मा से फोन पर सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि हमने अधिनियम 1978 एलपीए के तहत प्राइवेट भूमि से तीन कटे गए पीपल के पेड़ों का 1500 रूपये जुर्माना डालकर विभाग में जमा कर लिया है ।