गर्मीं के मौसम में होने वाली बिमारियों से ऐसे करें बचाव

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

गर्मीं के मौसम में कई सीजनल बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं। ऐसे में इस मौसम में जरा सी लापरवाही आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। वैसे तो हर मौसम में कोई ना कोई छोटी मोटी बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं लेकिन गर्मीं का मौसम अपने साथ कई खतरनाक बीमारियां लेकर आता है।

इस मौसम में जरा सी लापरवाही करना सेहत पर भारी पड़ सकता है। दरअसल कुछ बीमारियां हैं जो मौसम के अनुसार ही होती हैं जैसे विंटर में कोल्‍ड, कफ, फ्लू कॉमन सिंपटम हैं। वैसे ही मॉनसून आते ही डेंगू, मलेरिया आदि का खतरा बढ़ जाता है।

उसी प्रकार गर्मीं में डायरिया फूड पॉय‍जनिंग आदि होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। यही नहीं इस मौसम ही तेज धूप और पसीने की वजह से हीट स्‍ट्रोक, डिहाइड्रेशन आदि से भी लोग बीमार हो सकते हैं। ऐसे में यहां हम आपको बताते हैं कि गमिर्यों में आप किन सिजनल बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं और उनके कैसे बचें।
लू लगना यानी कि हीट स्ट्रोक इसे मेडिकल टमज् में हाइपरथर्मिया कहा जाता है।

गर्मीं के मौसम में होने वाली सबसे कॉमन बीमारियों में से ये एक है। अगर आप लंबे समय तक तेज धूप में रहते हैं तो आप लू की चपेट में आ सकते हैं। इंडसहेल्‍थ प्‍लस के मुताबिक हीट स्ट्रोक होने पर सिर में तेज दद तेज बुखार उल्‍टी तेज सांस लेना चक्कर आना कमजोरी महसूस होना या बेहोश हो जाना यूरिन कम पास होना जैसे लक्षण आते हैं, लू से बचने के लिए कभी भी खाली पेट बाहर ना निकलें हाइड्रेट रहें और जहां तक हो सके खुद को ढक कर ही धूप में जाएं।

फूड पॉइजनिंग भी गमिर्यों में होने वाली एक कॉमन समस्या है। लालपैथलैब के मुताबिक यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है। इस मौसम में बैक्टीरिया वायरस और फंगस तेजी से ग्रोथ करते हैं। ऐसे में शरीर के अंदर अगर किसी तरह का बैक्‍टीरिया, वायरस, टॉक्सिन आदि चला जाए तो फूड पॉइजनिंग हो सकता है।

इसके लक्षण की बात करें तो इसमें पेट ददज् जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दद् ज़्आदि होते हैं। इसमें ना सिफज़् पेट मरोड़ के साथ दद् ज़्करता है। बल्कि डायरिया उल्टी जैसी समस्याएं भी नजर आने लगती हैं। इसलिए इस मौसम में रोड किनारे का खाना, रॉ मीट खुले में बिक रहा खाना ठंडा खाना बासी खाना आदि से बचना बहुत जरूरी है।

टायफाइड

टायफाइड एक वॉटर बॉन् डिजीज है। जो दूषित पानी या जूस आदि पीने से होता है। आमतौर पर जब संक्रमित बैक्टीरिया पानी के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है। तब टायफाइड के लक्षण दिखने लगते हैं। टायफाइड में तेज बुखार भूख ना लगना पेट में तेज दद् ज़्होना कमजोरी महसूस होना जैसे लक्षण नजर आते हैं। टायफाइड से बचाव के लिए बच्‍चों को टायफाइड वैक्सीन भी लगाया जा रहा है। जिसे अडल्‍ट भी लगवा सकते हैं। इसके अलावा उपचार के लिए दवाओं का सहारा लेना पड़ता है।

मीजल्स

मीजल्स में होने वाला एक और बहुत ही कॉमन बीमारी जिसे रुबेला या मोरबिली के नाम से भी जाना जाता है। इसके फैलने का तरीका करीब करीब चिकनपॉक्‍स की तरह होता है। यह पैरामाइक्‍सो वायरस से फैलता है जो गमीज् में सक्रीय होता है। लक्षण बताएं तो कफ, हाई फीवर, गले में ददज्, आंखों में जलन आदि हैं। इसमें पूरे शरीर पर सफेद जैसे दाने हो जाते हैं। इससे बचाव का एक मात्र उपाय एमएमआर वैक्‍सीनेशन है।

चिकनपॉक्स

चिकनपॉक्स वायरस से होने वाली बीमारी है। इस बीमारी में पूरे शरीर की स्किन पर बड़े छोटे पस वाले दाने हो जाते हैं ।जो ठीक होने के बाद भी दाग छोड़ जाते हैं। जिन लोगों की इम्‍यूनिटी कम होती है उन्‍हें आसानी से यह बीमारी अपने चंगुल में ले सकती है। वैरीसेला जोस्‍टर वायरस की वजह से चिकनपॉक्‍स होता है।

पयार्वरण में अगर मरीज का ड्रॉपलेट गिर जाए तो ये इसके फैलने की वजह बनता है। यह मरीज के छींकने या खांसने से फैलता है। इससे बचाव के लिए नवजात शिशुओं को एमएमआर का टीका लगाया जाता है जो बड़े भी लगवा सकते हैं। चिकनपॉक्स से बचने के लिए हाइजीन का विशेष ध्‍यान रखना जरूरी होता है। इसे ऑक्‍सीजन लेवल कम होगा।

स्किन पर रैश और घमौरी होना

गमीज् में पसीना ज्यादा निकलता है। ऐसे में अगर आप तंग कपड़े पहने हों या पसीना ठीक तरीके से शरीर से बाहर ना निकल पाए तो स्किन पर रैश और घमौरियां हो जाती हैं जिनकी वजह से खुजली की समस्‍या हो सकती है। ऐसे में गमिज्यों में हल्के रंग वाले ढीले कॉटन के कपड़े पहनें।

हेपेटाइटिस ए यानी पीलिया

गर्मिंयों में ये बीमारी भी बहुत ही कॉमन है। यह भी दूषित पानी और दूषित खाना खाने से होता है। पीलिया में मरीज की आंखे और नाखून पीले होने लगते हैं और पेशाब भी पीले रंग की होती है। इसका सही समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

पीलिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है लिवर को हेल्‍दी रखना। अगर पीलिया ठीक हो गया है तो भी कुछ महीनों तक सादा भोजन यानि कि खिचड़ी, दलिया, चिकन, स्‍टू आदि ही खाने की हिदायत दी जाती है। इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं।