बरकरार रहना चाहिए गांवों का पारंपारिक स्वरूप: कैप्टन संजय

पराशर ने लग पंचायत में किया 27वें महायज्ञ का आयोजन

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि गांवों का पारंपरिक स्वरूप बरकरार रहना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही गांवों के चेहरे पर विकास की उम्मीद की नई रंगत भी नजर आनी चाहिए। रविवार को जसवां-परागपुर क्षेत्र की लग पंचायत में 27वें महायज्ञ के आयोजन अवसर पर पराशर ने कहा कि गांवों में विकास के नाम पर बहुत कुछ होना बाकि है।

यह भी बड़ा कारण है कि ग्रामीण पारंपरिक पेशे को छोड़ने को मजबूर हुए। कहा कि देश इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, बावजूद विडंबना यह भी है कि गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अब भी अभाव है। संजय ने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के बाद हमने जाे विकास की संकल्पना की थी, उसमें गांवों को मुख्यधारा में लाने का विचार प्रमुख था। ऐसी मूलभूत संचरना रखी गई कि ग्रामीण क्षेत्राें में अच्छे संपर्क मार्ग बन सकें, शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो और स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा भी मजबूत हो।

बावजूद जसवां-परागपुर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में यह विचार पूरी तरह से पल्लवित नहीं हो पाया है। सुविधाओं के अभाव में गुजारा करना आम जनता की मजबूरी बन चुकी है। इसके पीछे के कारण हर हाल में ढूंढने होंगे। पराशर ने कहा कि लग पंचायत में किसानों का गुड़, शक्कर व चावल का पूरे क्षेत्र में अपना ही रूतबा हुआ करता था। स्वाणता, लग और गुराला की इसी वजह से अपनी अलग ही पहचान रही है। अच्छा हो कि यह पांरपरिक स्वरूप आने वाली पीढ़ियां भी देख सकें। लेकिन कड़वा सच यह भी है कि स्थानीय वासियों को परिवहन सेवाओं की कमी राेज अखरती है।

अगर एकमात्र बस छूट गई या किसी को गांव से बाहर जरूरी काम पड़ गया तो टैक्सी के किराए से जेब ढीली करनी पड़ती है। इतना ही नहीं गांववासियों को डिपो के राशन को घर तक पहुंचाने के लिए भी मीलों पैदल सफर तय करना पड़ता है या फिर वाहन किराए पर करना पड़ता है। कहा कि तंत्र द्वारा ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है कि लोगों को उनके घर-द्वार तक राशन पहुंचाया जाए।

पराशर ने कहा कि पंचायत में स्थानीय वासी द्वारा जमीन दान करने के बावजूद पंचायत घर का निर्माण नहीं हो पाया। नाम की डिस्पेंसरी है, लेकिन सिरदर्द की दवाई के लिए ग्रामीणों को डाडासीबा का रूख करना पड़ता है। किसानों का पशु पालन भी व्यवसाय है, लेकिन पशु औषधालय का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है। कहा कि इन सभी समस्याओं का हल प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।

पराशर ने कहा कि अब गांवों के विकास की संरचना में बुनियादी परिवर्तन लाना होगा। गांवों में बेहतर सामाजिक जीवन, रोजगार के साधन और स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी, तो स्वाभाविक है कि गांव भी बड़े केंद्र बनेंगे। सही मायने में वे जीवन के विकास के भागीदार बनेंगे। इस अवसर पर पंचायत प्रधान देवराज, मान सिंह, दर्शन कुमार, सुरजीत, धर्म सिंह, अश्वनी ठाकुर, सुरिन्द्र राणा, रीना बाला, प्रदीप, विकास, राकेश राणा, संसार चंद, तिलक राज और सतनाम सिंह भी मौजूद रहे।