फीस न लेने के फैसले से स्कूल चलाने में असमर्थ : संघ

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

हिमाचल प्रदेश इंडिपेंडेंट स्कूल के अध्यक्ष डा. गुलशन कुमार, महासचिव बासु सोनी व संघ के अन्य पदाधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश सरकार बाद शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है तथा यह कहा है कि हम इस फीस लेने के फैसले से स्कूल चलाने में असमर्थ हैं और हमने बड़ी मुश्किल से कुछ स्कूलों ने अभी मार्च व अप्रैल की अपने कर्मचारियों को सैलरी दी है, लेकिन अब आने वाला जो जून महीने मैं मई की सैलरी हम किसी भी अध्यापक व अन्य कर्मचारियों, ड्राइवर व कंडक्टर को सैलरी देने के लिए असमर्थ है तथा सरकार से हमारी मांग है कि सरकार अभी इन स्कूलों में कार्यरत सभी अध्यापकों और कर्मचारियों की सैलरी सरकार देती है, तभी हम स्कूल चलाने की स्थिति में होंगे।

डॉक्टर गुलशन कुमार ने कहा कि पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल में निजी स्कूलों के लिए जो दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही गई है, जिसमें केवल स्कूल फीस लेने की बात कही गई है। तर्कसंगत नहीं है, जिसमें कि स्कूलों को स्कूल फीस व एनुअल चार्जेस व कुछ ट्रांसपोर्ट के खर्चे देने के लिए सरकार दिशा-निर्देश जारी करें, जिस पर निजी स्कूलों के प्रबंधक जो कि सीबीएससी व हिमाचल प्रदेश बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं, वह भी सरकार के इस फैसले से व कुछ समाचार पत्रों के पत्रकारों से बहुत ही आहत हैं, जिसमें स्कूल प्रबंधकों को जेल जाने की बात कही है।

हम सब अध्यापक शिक्षा देने वाले हैं और भारत निर्माता है न कि कोई चोर है। शिक्षा के मंदिर में कार्यरत सभी अध्यापक व कर्मचारियों का मान सम्मान रखते हुए उचित शब्दों का प्रयोग करने की कृपा करें। बहुत से दिनों से स्कूल फीस को लेकर के विभिन्न तरह की भ्रांति है, जो है वह अभिभावकों में फैलाई जा रही है। मेरा अभिभावकों से व स्कूल प्रबंधकों से यह अनुरोध है कि इस करोना कि महामारी में हम अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए इस समय अपना आपस में समन्वय बिठा कर के इस मुश्किल की घड़ी में एक-दूसरे का साथ दें।

यहां तक सरकारों का सवाल है सरकारें आती और जाती रहेगी, लेकिन जिस स्कूल मैं अपने बच्चे को पढ़ा रहे हैं और जो अध्यापक आपके बच्चे को नई दिशा देने में उसके जीवन को अच्छा बनाने में प्रयास कर रहे हैं, उनको भी उनकी मेहनत को भी आप ध्यान में रखें और सभी बातों को एक तरफ रख कर के हमें यह विचार करना है कि कि इस संकट की घड़ी में हमारे बच्चों को पढ़ाने वाला अध्यापक कहीं परेशान तो नहीं है।

अगर हमने स्कूल की फीस नहीं दी, तो क्या वह अपना रोजमर्रा की जिंदगी चला पाएगा, पिछले कई वर्षों से हमारे बच्चों को सुबह स्कूल बस में लेकर जाना और लेकर आना वो ड्राइवर और कंडक्टर व आया, जो स्कूल में हमारे बच्चे की सुबह शाम देखभाल करती है। क्या वह इस संकट की घड़ी में अपने बच्चों का पालन पोषण ठीक से कर रहे हैं। यह सवाल आज मैं आपके सामने रखना चाह रहा हूं, हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, बड़े-बड़े दानी सज्जनों की बात होती है, लेकिन शिक्षा के मंदिर में अगर हम कुछ अपना अंशदान दे कर के अपने बच्चे का भविष्य बनाने के लिए कुछ पैसे फीस के रूप में देकर के उन लोगों को इस संकट की घड़ी में बचा सकते हैं, तो मैं कहता हूं कि इससे बड़ा पुण्य कोई और नहीं हो सकता आज करोना कि महामारी में हर क्षेत्र में सब को परेशानी हुई है।

कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं। कई लोगों का व्यापार खत्म हो गया है। दुकान नहीं चल पा रही है। जीवन व्यापक करना मुश्किल हो गया है, लेकिन फिर भी इस संकट की घड़ी में जो लोग सक्षम है और जो लोग यह मन में रखते हैं कि हमने इस भारतवर्ष की सदियों पुरानी धरोहर जिसमें प्राइवेट स्कूलों का बहुत बड़ा योगदान है, उसको भी बचाने का काम करना है, तो इसलिए हम सबको मिलकर आपस में समन्वय बिठाकर के जितना संभव हो सके हमें स्कूल का फीस भरना है और जब तक लॉक इन पीरियड है हमारे बच्चों को शिक्षा मिलती रहे और वह घर में रहकर के अच्छी शिक्षा ले सके, जिसके लिए हर स्कूल आज अपना प्रयास कर रहा है।

मेरी सरकार से व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से भी अपील है कि वह इस संकट की घड़ी में अपना संतुलन रखते हुए अभिभावकों को को यह बताएं कि आप स्कूल में जाकर के स्कूल के प्रिंसिपल से मिल कर के अपनी स्कूल फीस जमा करवाएं व किसी को अगर कोई परेशानी है समस्याएं रखें और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे स्कूल प्रबंधक, हमारे प्रिंसिपल पहले ही लगभग 10% बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे हैं, की जो कि आईआरडीपी, ईडब्ल्यूएस व अन्य गरीबी रेखा में आते हैं।

हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि सीबीएसई व हिमाचल प्रदेश बोर्ड से संबंधित स्कूल सरकार के साथ इस संकट की घड़ी में खड़े हैं और जितना संभव हो सकेगा, वह फीस व अन्य सालाना खर्चों में यथासंभव रियायतें देंगे, ताकि अभिभावक इस समय अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें। अंत में इस करोना महामारी में आप अपने घर पर रहें सुरक्षित रहें और अपने बच्चों का ध्यान रखें और समय-समय पर सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि हम इस मिलकर इस करोना महामारी से इस संकट से बच पाए जहां तक हो सके घर से बाहर ना निकले, जब भी निकले मास्क लगाकर निकले और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें।

अंत में मैं सभी प्रिंट मीडिया के पत्रकार सोशल मीडिया के पत्रकार व अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी प्रार्थना करूंगा कि इस संकट की घड़ी में स्कूलों को इस तरह बदनाम करने की कोशिश न करें, जिससे कि आने वाला कल जो है वह हमारे बच्चों के लिए कष्ट देने वाला हो परेशानी देने वाला हो, इसलिए इस समाज में रहकर के सभी बातों का ध्यान रखते हुए हमें इस संकट की घड़ी में सबको मिलकर के इसका मुकाबला करना है यही मेरा संदेश है यही मे मेरा आपसे अनुरोध है।