जिला में वाल्मीकि महासभा ने किया भूमि आवंटन विशेष अभियान का स्वागत

अंकित वालिया। कांगड़ा

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुदेश सहोंतरा व प्रमन चटवाल जिला अध्यक्ष वाल्मीकि सभा जिला कांगड़ा पंजीकृत ने सयुंक्त बयान में सरकार के आदेश जिसका जिलाधीश कांगड़ा निपुण जिंदल ने कांगड़ा जिला में भूमि आंबटन का नोटिफिकेशन जारी कर किया। इस विशेष अभियान का स्वागत किया हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुदेश सहोंतरा ने बताया की कुछ महीने पहले उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जीएस विशनार आभावमस पंजीकृत नई दिल्ली के माध्यम से हिमाचल मे खास कर जिला कांगड़ा, मंडी, शिमला, चंबा, हमीरपुर के भूमि हीन व सरकारी जमीन पर मकान बना कर रह रहे वाल्मीकि समाज क़े पक्ष में प्रमुखता से मांग को उठाया था। जिसमें अध्यक्ष ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हिमाचल सरकार के समक्ष मांगों को रखा था।

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इसमें कहा गया कि जिला कांगड़ा के धर्मशाला कैंट से वाल्मीकि समुदाय के लोग लगभग 40-45 वर्षों से रह रहे हैं और इस मांग को हिमाचल की पूर्व मे कांग्रेस सरकार और भाजपा सरकारों के पास भी रख चुके हैं, पर आज तक किसी ने इस बारे में ध्यान नही दिया गया। कैंट कजलोट वार्ड-2 में आज तक रास्ता नहीं बना हैं। इसी मांग को लेकर जिला वाल्मीकि सभा पंजीकृत के अध्यक्ष प्रमन चटवाल भी कई बार मुख्यमंत्री को मांग पत्र दे चुके हैं हाल ही मै भाजपा सरकार के मुख्य प्रभारी अभीनाष खन्ना के साथ बैठ कर चटवाल ने वाल्मीकि समाज की हर जायज मांगो से अवगत कराया था।

अब जबकि देश आजादी की 74वी वर्षगांठ मना चुका हैं, लेकिन यह लोग आज भी गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। क्योंकि सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए बहुत सी योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में परिवार का नाम न होने के कारण यह लोग सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। जिलाधीश द्वारा सरकार के आदेशों को जिला कांगड़ा में विशेष अभियान के द्वारा भूमिहीन और अवैध कब्जो को नियमित अवधि के अंदर नियमित किए जाने और भूमिहीनों को भूमि दिए जाने की बात कही गई। सुदेश सहोंतरा व जिलाध्यक्ष प्रमन चटवाल ने साफ शब्दों में कहा की सरकार ने भूमि आंवटन मामलो में जो इनकम की सीमा रखी हैं, उससे वह असहमत हैं। क्योंकि वाल्मीकि समुदाय 38-40 वर्षों से रह रहे हैं।

तब आय के साधन नहीं थे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुदेश सहोतरा व जिला वाल्मीकि सभा पंजीकृत के अध्यक्ष प्रमन चटवाल ने मांग की हैं कि वाल्मीकि समाज के उन लोगों के मकानों को जो 70 और 80 के दशक में बने हैं, बिना शर्त नियमित किए जाए। इस अवधि में जो जिलाधीश कांगड़ा ने 12 दिसंबर तक सीमा तय की हैं। उन्होंने कहा कि हमें पूर्ण आशा हैं कि वाल्मीकि समुदाय की मांगों पर सहानुभूति विचार-विमर्श करने के उपरांत बिना शर्त स्पेशल केस बना कर बुजुर्गों के समय से किए कब्जों को नियमित किया जाएगा। अगर वाल्मीकि समुदाय की मांगों को इस अवधि में पूरा किया जाएगा, तो जिला कांगड़ा में मुख्यमंत्री को प्रदेश स्तरीय वाल्मीकि सम्मेलन मे बुलाकर सम्मानित किया जाएगा और सम्मान समारोह यादगार होगा।