व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी देश के विकास के लिए साबित हाेगी मील का पत्थर : माेदी

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि वाहन स्क्रैपेज नीति का शुभारंभ भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। गुजरात में वाहन स्क्रैपिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए निवेशक शिखर सम्मेलन संभावनाओं की एक नई श्रृंखला खोलता है। मैं अपने युवाओं और स्टार्ट-अप से इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि वाहन स्क्रैपिंग पर्यावरण के माध्यम से और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में मदद करेगी। हमारा उद्देश्य एक व्यवहार्य #circulareconomy बनाना है।

भारत में व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही हैं, हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पॉलिसी की शुरुआत की और कहा कि यह नीति भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ट्विटर पर पीएम मोदी ने लॉन्च के बारे में जानकारी दी साथ ही युवाओं और स्टार्ट-अप कंपनियों से इस कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया। इस नीति का मुख्य कारण देश में 20 साल पुरानी कार आरै 15 वर्ष से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का है। इसे सरकार द्वारा प्रदूषण के स्तर को कम करने और ऑटोमोटिव बिक्री को बढ़ावा देने के लिए लागू किया जा रहा है, जो भारत के बाद के COVID रिकवरी चरण के दौरान पीड़ित है।

इसका मतलब है कि 20 वर्ष से पुराने किसी भी निजी वाहन को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। वित्त मंत्री के अनुसार, फिटनेस परीक्षण स्वचालित फिटनेस केंद्रों पर आयोजित किया जाएगा, जो यह निर्धारित करेगा कि इस योजना के भीतर आने वाला वाहन सड़कों पर चलने के योग्य है या उसे स्क्रैप में भेजा जाएगा। नए नीति दिशानिर्देशों के अनुसार, 20 साल की अवधि के बाद, एक वाहन को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा।

जैसा कि इस साल की शुरुआत में मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था, प्रत्येक फिटनेस परीक्षण पर लगभग 40,000 रुपए खर्च होंगे। यह रोड टैक्स, और संभावित “ग्रीन टैक्स” से अलग होगा, जो आपको 15 वर्ष की अवधि के बाद अपने निजी वाहन के पंजीकरण को रिन्यू करते समय भुगतान करना होगा। बता दें, प्रत्येक फिटनेस सर्टिफिकेट पांच साल के लिए लागू होता है, जिसके बाद वाहन के मालिक को एक और फिटनेस टेस्ट करवाना होगा।

कानून के अनुसार ऐसी कार चलाना अवैध है जिसने फिटनेस टेस्ट पास नहीं किया है, क्योंकि इसे अपंजीकृत माना जाता है। कुल मिलाकर यदि आपका वाहन परीक्षण में विफल रहता है, तो यह बस पंजीकृत नहीं है, जिससे इसे सड़क पर चलाना अवैध हो जाता है। यह नीति जो 1 अप्रैल 2022 से देश भर में प्रभावी होगी। ध्यान देने वाली बात है, कि यदि वाहन तीन बार फिटनेस परीक्षण में विफल रहता है, तो उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा।