मूलभूत सुविधााओं के लिए तरस रहे डेहनी के ग्रामीण

रिशु प्रभाकर। स्वारघाट

विधानसभा क्षेत्र श्री नैना देवी के अंतिम छोर पर बसा गांव डेहनी के ग्रामीण आजदी के 74 साल बीत जाने के बाद भी आज गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। गांव की पक्की सड़क नहीं होने के चलते इस गांव के कुछ परिवार हिमाचल के जिला बिलासपुर विधान सभा के अंर्तगत श्री नैना देवी के तहत आने वाली ग्राम पंचायत रोड जामन के गांव डेहनी से ग्रामीण अपना गांव छोड़ कर पंजाब में जाकर रहने को मजबूत हो गए हैं। ग्रामीणों में हजारा सिंह, पूर्व वार्ड सदस्य सुरजीत सिंह, सरवन सिंह, महेंदरो देवी, गुरदेई ,राजेन्द् प्रसाद का कहना है कि हमने आज दिन तक आजादी नहीं देखी क्यों कि विकास के नाम पर किसी भी सरकार ने हमारे गांव का विकास नहीं करवाया है। सियासतदारों ने इस गांव के भोलेभाले दूध बेच कर गुजार बसर करने वालों को सिर्फ छलने का प्रयास किया है। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के मौसम में बच्चों को स्कूल जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं बरसात के दौरान गाव में अगर को बीमार पड़ जाए या फिर गर्भवती महिला व बुजुर्गो को अस्पताल ले जाना हो तो 108 एंबुलेंस भी कच्ची सड़क होने कारण डेढ़ किलोमीटर दूर खड़ी हो जाती है। यही कारण है कि उक्त गांव के लोग गांव छोड़कर पंजाब में पलायन करने को मजबूर हैं।

इस गांव में पक्की सड़क बनाने की मांग को लेकर लोगों ने कई नेताओं के दरबार में हाजिरी दी लेकिन वहां भी बात सिरे नहीं चढ़ सकी है दरअसल डेड किलो मीटर कच्ची सड़क ने खड़ का रूप धारण कर लिया है, यह लोग आजादी के 74 साल बाद भी सड़क सुविधा से महरूम है। इसके लिए इलाके के ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई।लेकिन सियासतदारों पर कोई फर्क नही पड़ा। हर बार बरसात में कच्ची सड़क से आवागमन में ग्रामीणों की परेशानी व दिक्कतें और भी ज्यादा ही बढ़ जाती हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा हर गांव को सम्पर्क सड़क से जोड़ने का संकल्प आए दिन दोहराया जाता है। लेकिन बावजूद इसके सरकार का यह संकल्प पूरा होता नज़र नहीं आ रहा है। प्रदेश में आज भी कई ऐसे गांव है, जिन्हे सड़क की सुविधा उपलब्ध नही है। ऐसे में 74 साल की आजादी के बाद भी सड़क की सुविधा से महरूम रहने के कारण ग्रामीणों का हिमाचल सरकार के प्रति गुस्सा बिल्कुल जायज नजर आ रहा है।