वादों और दावों के बीच विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणः कैप्टन संजय

उज्जवल हिमाचल। जसवां-परागपुर

कैप्टन संजय ने रविवार को कटोह टिक्कर में 33वें महायज्ञ का आयोजन किया और भरोली जदीद में 37वां फ्री कंप्यूटर व इंग्लिश लर्निंग सेंटर खोला। इस अवसर पर पराशर ने कहा कि देश की आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी जसवां-परागपुर क्षेत्र के गांवों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। विकास की रोशनी के लिए तरस से गांववासियों के लिए तंत्र को जिस तत्परता और मिशन के तहत कार्य करना चाहिए था, उसमें कमी रह गई।

कहा कि वह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति और गांव के अंतिम छोर तक सरकारी योजनाओं को लेकर जाएंगे और गांवों के विकास के लिए विजन के तहत कार्य करेंगे। संजय ने कहा कि शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सिर्फ वादे और दावे ही किए जाते रहे। लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ। यही कारण है कि इन मुद्दों पर कोई चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। पराशर ने कहा कि शिक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई।

वर्ना क्या कारण है कि आज भी कई प्राइमरी स्कूल वर्षों से एकमात्र शिक्षक के सहारे चले हुए हैं। क्षेत्र के सभी कॉलजों में स्टाफ की कमी बनी हुई है। उन्होंने इस मुद्दे को कई बार सावर्जनिक मंचों से उठाया है। लेकिन शायद कोई सुनने को तैयार ही नहीं है। जब बच्चों की पढ़ाई की नींव ही कमजोर रहेगी, तो वे कैसे राष्ट्र के उत्थान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। पराशर ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर भी कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए। अगर क्षेत्र मे उद्योगों की स्थापना की जाती और टैरस जैसे औद्योगिक क्षेत्र को संवारा गया होता तो काफी हद तक बेरोजगार युवा इस वक्त नौकरी कर रहे होते।

कहा कि कोरोना में बद से बदतर हालात देखने के बाद जिम्मेवारी बनती थी कि क्षेत्र के अस्पतालों का ढांचा मजबूत किया जाए और उनमें सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। बावजूद इस दिशा में काम करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई दी गई। अब भी क्षेत्र के लोगों को आपात स्थिति में इलाज के टांडा मेडीकल कॉलेज या पड़ोसी राज्य की तरफ रूख करना पड़ता है। ऐसे में आर्थिक रूप से अक्षम परिवार बीमारी के बाद लंबे समय तक गुरबत में चला जाता है। लेकिन फिर कोई पूछने वाला नहीं होता है। संजय ने कहा कि कटोह टिक्कर पंचायत की वर्षों पुरानी समस्याओं का समाधान अभी होना शेष है। बासी और बलूणी के स्थानीय वासी अब भी अच्छी सड़क सुविधा को तरस रहे हैं।

ऐसा ही हाल घियोरी और नौण बस्तियों का है। टिक्कर के स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ का अभाव है। पंचायत की खड्ड पर चेक बांध बनाकर किसानों को सिचांई सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। लेकिन विडंबना है कि इसे लेकर कोई प्लान तैयार नहीं किया गया। पराशर ने कहा कि कटोह टिक्कर व क्षेत्र की अन्य सभी पंचायतों में विकास मॉडल के तहत कार्य किया जाएगा और व्यवस्था परिवर्तन से ग्रामीण क्षेत्र में हर मूलभूत सुविधा पहुंचाई जाएगी।

कटोह टिक्कर के महायज्ञ में एक सौ अस्सी परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया और हवन कुंड में आहुतियां डालीं। इस अवसर पर किशोरी लाल, प्रदीप, देसराज, प्रेम सागर, शरत चंद्र डोगरा, मदन लाल, जगत राम, जोगेन्द्र, बलवीर, जगदीश जरियाल, सीमा, कमलेश, सोनिया जसवाल, रूचि, संजय, अरूण डोगरा, जमीत सिंह, राकेश और दुनी चंद भी मौजूद रहे।

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