73 वर्षाें के बाद भी सड़क की आस लगाए बैठे ग्रामीण

शैलेष शर्मा। चंबा

वैसे तो सरकार प्रदेश के गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछा रही हैं, लेकिन उसके बावजूद अभी भी बहुत से ऐसे गांव हैं, जो कि आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी अपने गांव में सड़क बन जाए आस लगाए बैठे हैं। इन ग्रामीण महिलाओं के साथ गांव के बुजुर्ग व युवाओं ने प्रदेश सरकार पर कड़ा रोष जतलाते हुए कहा की हमारे गांव को जाने वाली सड़क तो नहीं है, पर जो गांव को जाने वाला छोटा सा रास्ता बना हुआ है, वह भी इतना खराब है कि इस पर ठीक से चला भी नहीं जा सकता है।

इन ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अगर कोई बीमार हो जाए या फिर किसी महिला का प्रसव होना हो तो चारपाई में लेटाकर उसको गांव से ले जाना पड़ता है। इन ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि जिस किसी महिला की डिलिवरी होनी होती है, तो कई बार वह महिला इस रास्ते की खराब हालत को नहीं सेह पाती और बीच रास्ते में ही नवजात बच्चे को जन्म दे देती है।

यह चंबा जिला के अंतर्गत पड़ने वाला चुराह घाटी की पंचायत कल्हेल के गणोंडी गांव के दृश्य, जिसमें एक नहीं अपितू कई और गांव है, जहां पर सड़क के नाम पर वह पकडंडी है, जिस पर जानवर तो क्या इंसान भी ठीक से नहीं चल पाता है, पर फिर भी यह गरीब ग्रामीण इसी सड़क पर वर्षों से निरंतर चले जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इस कल्हेल पंचायत के गांव गणोड़ी गांव के साथ-साथ नैला, भावला, साहू, खन, परतौन, शेरू, गणोट व कोहाला जैसे न जाने इस तरह कितने गांव के लोग आज सड़क न होने की वजह से परेशान हैं। इन ग्रामीणाें का कहना है कि सड़क नहीं होने के कारण वह रोजाना पांच से दस किलोमीटर पैदल सिर पर भारी बोझा लेकर सफर करने को मजबूर हैं।

इतना ही नहीं वह अपने बच्चों को ठीक से शिक्षा इसलिए भी नहीं दे सकते। क्योंकि इतने किलोमीटर का सफर यह बच्चे अकेले नहीं कर सकते है। स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि उनके गांव में सड़क सुविधा न होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सड़क सुविधा न होने से उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। उनके गांव में कोई बीमार होता है, तो उसे पीठ पर उठा के ले जाना पड़ता है। कई बार तो लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके गांव को सड़क मार्ग से जोड़ा जाए, ताकि उन्हें भी सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का पूरी तरह से लाभ मिल पाए।