क्यों काटते हैं शिमला के बंदर; शोध में हुआ चौकाने वाला खुलासा, हरपस बी वायरस से मुक्त हैं ये बंदर

उज्जवल हिमाचल । शिमला

शिमला में बंदर हरपस बी वायरस से मुक्त हैं। रेससमकैक प्रजाति के ये बंदर भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहना पसंद करते हैं। ये बंदर ज्यादातर पर्यटकों के मुंह पर हमले करते हैं और चश्मे तक निकाल लेते हैं। हर साल आईजीएमसी में करीब 6 सौ मामले बंदरों के काटने के आते हैं।

आईजीएमसी और मेडिकल कॉलेज नाहन के डाक्टरों के संयुक्त शोध में यह खुलासा हुआ है।  शोध आईजीएमसी शिमला माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टर सुमन ठाकुर, मेडिसन विभाग के डॉक्टर कमलेश शर्मा, नाहन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर विवेक चौहान और डॉक्टर मृणालिनी सिंह ने किया है। इसे जनरल और ग्लोबल इंफेकशियस डिजिजस में छापा है।

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शोध में बताया गया है कि मृत बंदरों में रैबिज पाया जाता है। ऐसे में हर मामले के लिए रैबिज का संक्रमण रोकने को इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है। हरपस बी वायरस से आंखों में संक्रमण होता है। वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2020 तक बंदरों के काटने के 8 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं, लेकिन किसी में हरपस बी वायरस संक्रमण के लक्ष्य नहीं हैं।

 

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