तालिबानी सरकार में महिलाओं की काेई जगह नहीं

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

तालिबान ये साफ कर चुका है कि इस सरकार को उसकी गठित की गई काउंसिल के जरिए चलाया जाएगा। ये ईरानी मॉडल की ही तरह होगी। बता दें कि ईरान में वहां के सर्वोच्‍च नेता अयातुल्‍ला अली खमनेई जिस तरह से सरकार के मुखिया है, उसी तरह की भूमिका तालिबान सरकार में अखुंदजादा की होगी। उसको भी खमनेई की तरह रहबर बुलाया जाता है, जिसका अर्थ होता है सबसे बड़ा नेता। अफगानिस्तान में तालिबान आज (शुक्रवार) को अपनी सरकार की घोषणा कर देगा। इसमें उसके कुछ जाने पहचाने चेहरे शामिल होंगे।

पिछले कई दिनोंं से इस पर तालिबान के नेता मंथन में जुटे थे। माना जा रहा है कि अब ये कवायद पूरी हो चुकी है और केवल औपचारिक घोषणा ही बाकी रह गई है। तालिबान की ये सरकार इस संगठन के प्रमुख हबीबुल्‍ला अखुंदजादा के इशारे पर चलेगी। ये सरकार शरिया कानून के हिसाब से बनेगी और काम करेगी। तालिबान की इस सरकार में प्रधानमंत्री भी होगा और राष्‍ट्रपति भी होगा। पीएम पद के लिए फिलहाल तालिबान के वरिष्‍ठ नेता अब्‍दुल गनी बरादर और मुल्‍ला उमर के बेटे याकूब का नाम सामने आ रहा है। इस सरकार में फिलहाल किसी भी महिला की कोई जगह नहीं होगी।

एएफपी के मुताबिक तालिबान सरकार में किसी भी महिला को बड़ा पद देने का कोई इरादा नहीं है। बरादर का ताल्‍लुक जहां इस संगठन के राजनीतिक धड़े से है। वहीं, याकूब तालिबान के धार्मिक और वैचारिक मुद्दों को देखता है। इस सरकार में हक्‍कानी ग्रुप के संस्‍थापक जलालुद्दीन हक्‍कानी के बेटे अनस हक्‍कानी को भी बड़ा पद मिल सकता है। हाल ही में अनस ने कश्‍मीर के मुद्दे पर बयान देकर पाकिस्‍तान को करारा झटका भी दिया था। उन्‍होंने कहा था‍ कि तालिबान कश्‍मीर मसले में कोई हस्‍तक्षेप नहीं करेगा। पाकिस्‍तान भी चाहता है कि हक्‍कानी को कोई बड़ा पद हासिल हो।

तालिबान सरकार अब्‍दुल हकीम हक्‍कानी को देश का मुख्‍य न्‍यायधीश बना सकती है। बता दें कि तालिबान इस बार अपनी छवि बदलने की कोशिश करता हुआ दिखाई दे रहा है। तालिबान लगातार कह रहा है कि वो अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से बातचीत करना चाहता है। उसने ये भी कहा है कि उसकी इस बार की सरकार पहले की अपेक्षा काफी अलग होगी। इस सरकार में लड़कियों को शिक्षा की और महिलाओं को काम करने की आजादी होगी।

वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्‍तान, कतर को छोड़कर किसी भी तीसरे देश ने इस सरकार को मान्‍यता देने के बारे में कोई बात नहीं की है। अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ पहले ही साफ कर चुके हैं कि फिलहाल वो ऐसा करने की हड़बड़ी में नहीं हैं। ये सब तालिबान के भविष्‍य में होने वाले व्‍यवहार पर तय होगा।