बेसहारा पशुओं से परेशान महिलाएं आधी रात तक कर रही खेतों की रखवाली

बेसहारा पशुओं से परेशान महिलाएं आधी रात तक कर रही खेतों की रखवाली

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा
आवारा पशुओं (Destitute Animal) से परेशान घलौड़ा पंचायत की महिलाएं आधी रात तक हाथों में लाठियां लिए हुए अपने खेतों की रखवाली करने के लिए मजबूर है। यही, नहीं महिलाओं ने खेतों की रखवाली करने के लिए 2 शिफ्टें बनाई है, जिनमें कुछ महिलाएं सुबह से शाम व अन्य शाम से देर रात तक अपने खेतों की जंगली व आवारा पशुओं से रखवाली करती है।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है। महिलाओं का आरोप है की बेसहारा पशुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन न तो स्थानीय पंचायत और न ही प्रशासन और सरकार इस और कोई उचित कदम उठा रही है। महिलाओं का कहना है कि राशन तो उन्हें डिपुओं से प्राप्त हो जाता है, लेकिन पशुओं का चारा आजकल इतना महंगा है कि वह इसकी खरीद नहीं कर सकते, ऐसे में उन्होंने अपनी फसलें बीजी है, लेकिन आवारा पशुओं के कारण उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

इस मामले को लेकर गौ समन्वय मंच जिला कांगड़ा के महासचिव सुनील शर्मा ने कहा कि प्रदेश में पिछली सरकार भी किसानों को बेसहारा पशु धन से निजात दिलाने में कामजाब नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गौशालाओं में रखे गए बेसहरा पशुधन के भरण पोषण हेतु भी पिछली सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

पिछली सरकार 23 रुपए प्रति दिन प्रति पशु धन जो की कुल खर्चे का 20 फीसदी अनुदान के रूप में दे रही थी। जो की ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर सिद्ध हुआ और जो बड़ी-बड़ी अभ्रण्य पिछली सरकार ने बनवाई उसमे 1 हजार से ज्यादा पशु धन बिना किसी पूर्व योजना से ठूस दिया जबकि उनमें चारे की कोई ठीक व्यवस्था सरकार या प्रशासन नहीं कर सका।

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इनका आरोप है कि पिछली सरकार ने जो गौ अभरण्य बनवाए वह भी करोड़ों रुपए लगा कर भी सही उपयोग न हो सका। सुनील शर्मा का कहना है कि प्रदेश में दान देने की कम प्रवृति होने के कारण अब एनजीओ की भी सांस फूल रही है, क्योंकि यदि गौशालाओं में गौवंश को सही तरीके रखना एवं सही तरीके से भरण पोषण करना है तो इस राशि को चार गुना बढ़ाना होगा नहीं तो गौशालाएं चलने की बजाए बंद होने की कगार पर हैं। इनका कहना है कि किसानों की हालत किसी से छुपी नहीं है, जोकि चिंता का विषय है।

’वर्तमान सरकार से किसानों को बहुत उम्मीद’
सुनील शर्मा ने वर्तमान सरकार से ही उपेक्षा की है कि यह गौशालाएं ठीक रहेंगी तो सड़क से उठाया बेसहारा पशुधन जिंदा रह पाएगा और गौशालाओं को आगे बढ़ाकर और बेसहारा पशुधन को गौशालाओं में रखकर किसानों को भी बेसहारा पशुधन से किए जा रहे फसलों के नुकसान से राहत मिल सकती है।

उन्होंने कहा की इसे लेकर सरकार को ओर ठोस कदम उठाने चाहिए। जिससे लोग अपने घरों में बांधे हुए गौवंश को सड़कों पर न छोड़ें। उन्होंने कहा कि देखना यह होगा कि वर्तमान सरकार कैसे किसानों को बेसहारा पशुधन द्वारा किए जा रहे फसलों के नुकसान से राहत दिलाती है। वहीं वर्तमान सरकार से किसानों को बहुत उम्मीद है।

’जिला कांगड़ा में ही 10 हजार से ज्यादा पशुधन सड़कों पर’
वर्तमान की बात करें तो जिला कांगड़ा में ही 10 हजार से भी ज्यादा पशुधन सड़कों और किसानों की फसलें व उनकी मेहनत को बर्बाद कर रहें हैं। वहीं घलोड पंचायत का एक वीडियो सामने आया है जो किसानों और बेसहारा पशु धन की दुर्दशा को जग जाहिर कर रहा है। इसके अलावा प्रदेश में कोई ही ऐसी पंचायत होगी जहां पशु धन बेसहारा नही छोड़ा गया होगा।

संवाददाताः शुभम रक्कड़

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