नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में आती है शांति और सौम्यता

उज्जवल हिमाचल। डेस्क
चैत्र नवरात्री के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी चंद्रघंटा के माथे पर एक घंटे के आकार का चंद्रमा दिखाया गया है, जिस कारण देवी को चंद्रघंटा नाम से पुकारा जाता है। देवी के इस रूप की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से भय, नकारात्मकता और असफलता जड़ से नष्ट हो जाती है।

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व
मान्यता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में शांति और सौम्यता आती है। इसके अलावा देवी चंद्रघंटा की कृपा भक्तों को भूत-प्रेत की नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाती है। देवी की पूजा करने से जीवन में शांति का अनुभव होने लगता है और वे अपने करियर में भी सफलता प्राप्त करते हैं।

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मां चंद्रघंटा का स्वरूप

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है। मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है। मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं। इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं और मां चंद्रघंटा की सवारी सिंह है। माता का यह स्वरूप साहस और वीरता का अहसास कराता है। यह मां पार्वती का विवाहित स्वरूप है।

पूजा विधि
लाल रंग देवी चंद्रघंटा को प्रिय है इसलिए इस दिन उनकी पूजा करते हुए भक्त लाल रंग के कपड़े पहन सकते हैं। आप देवी चंद्रघंटा को लाल रंग के फूल, रक्त चंदन और चुनरी अर्पित करें। देवी को चमेली का फूल भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा को यह फूल बहुत पसंद है। देवी चंद्रघंटा की पूजा में भक्तों को उन्हें दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का भी पाठ करें।

ब्यूरो रिपोर्ट डेस्क

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